पोंगल
पोंगल
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अन्य नाम | माद्दू पोंगल या मात्तुपोंगल |
अनुयायी | हिन्दू धर्मावलम्बी |
उद्देश्य | दक्षिण भारत में धान की फसल समेटने के बाद लोग खुशी प्रकट करने के लिए पोंगल का त्योहार मनाते हैं। |
प्रारम्भ | पौराणिक |
तिथि | 14 जनवरी (वर्ष- 2021) |
अनुष्ठान | पोंगल अर्थात् खिचड़ी का त्योहार सूर्य के उत्तरायण होने के पुण्यकाल में मनाया जाता है। |
धार्मिक मान्यता | हिन्दू धर्म |
संबंधित लेख | मकर संक्रांति, लोहड़ी |
अन्य जानकारी | पोंगल विशेष रूप से किसानों का पर्व है। पोंगल सामान्यतः तीन दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन कूड़ा-करकट एकत्र कर जलाया जाता है, दूसरे दिन लक्ष्मी की पूजा होती है और तीसरे तीन पशु धन की। |
अद्यतन | 13:14, 13 जनवरी 2018 (IST)
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पोंगल (अंग्रेज़ी: Pongal) तमिल हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह प्रति वर्ष 14-15 जनवरी को मनाया जाता है। दक्षिण भारत के तमिलनाडु और केरल राज्य में मकर संक्रांति को 'पोंगल' के रुप में मनाया जाता है। सौर पंचांग के अनुसार यह पर्व तमिल महीने की पहली तारीख को आता है। पोंगल विशेष रूप से किसानों का पर्व है। पोंगल सामान्यतः तीन दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन कूड़ा-करकट एकत्र कर जलाया जाता है, दूसरे दिन लक्ष्मी की पूजा होती है और तीसरे तीन पशु धन की। पोंगल का त्योहार 'तइ' नामक तमिल महीने की पहली तारीख़ यानी जनवरी के मध्य में मनाया जाता है। भोगी पर्व 13 जनवरी व पोंगल 14 जनवरी को मनाया जाता है। मात्तुपोंगल 15 को तथा थिरुवल्लूर दिन या कानुमपोंगल 16 तारीख़ को मनाए जाते हैं। पोंगल फ़सल काटने के उत्साह का त्योहार है, जो दक्षिण भारत में मनाया जाता है। तमिलनाडु में धान की फ़सल समेटने के बाद लोग खुशी प्रकट करने के लिए पोंगल का त्योहार मनाते हैं।
वर्ष भर के त्योहारों को पूर्णता देता है - पोंगल का त्योहार। इस त्योहार का मूल भी कृषि ही है। जनवरी तक तमिलनाडु की मुख्य फ़सल गन्ना और धान पककर तैयार हो जाती है। कृषक अपने लहलहाते खेतों को देखकर प्रसन्न और झूम उठता है। उसका मन प्रभु के प्रति आभार से भर उठता है। इसी दिन बैल की भी पूजा की जाती है, क्योंकि उसी ने ही हल चलाकर खेतों को ठीक किया था। अतः गौ और बैलों को भी नहला–धुलाकर उनके सींगों के बीच में फूलों की मालाएँ पहनाई जाती हैं। उनके मस्तक पर रंगों से चित्रकारी भी जाती है और उन्हें गन्ना व चावल खिलाकर उनके प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है। कहीं–कहीं पर मेला भी लगता है। जिसमें बैलों की दौड़ व विभिन्न खेल–तमाशों का आयोजन होता है।
विषय सूची
महोत्सव
भोगी का दिन पोंगल की तैयारी की सूचना भी देता है। नववस्त्र, तेल–स्नान (जो तमिलों की विशेषता है) तथा स्वादिष्ट भोजन, भोगी पर्व की पहचान है। घरों के आँगन में गोबर का लेप किया जाता है। जिससे सभी प्रकार के कीटाणुओं का नाश हो जाता है। महिलाएँ घरों के द्वार को सजाने की दक्षता का प्रदर्शन कलात्मक रंग–बिरंगी रंगोली बनाकर करती हैं।
स्वच्छता का प्रतीक पोंगल
पोंगल पर स्वच्छता रखने के लिए, सभी टूटी–फूटी व अनुपयुक्त वस्तुएँ जैसे फटे हुए पायदान, टूटा फर्नीचर व फटे वस्त्र त्याग दिए जाते हैं तथा उन्हें अग्नि की ज्वाला में समर्पित कर दिया जाता है। परिवार के सभी सदस्य अलाव के चारों ओर एकत्रित होकर नृत्य करते हैं तथा ढोल व अन्य वाद्यों से वातावरण रंगमय, रसमय हो उठता है। पोंगल पर्व समाज में बुराई के अन्त का प्रतीक है। लोग अपने घर की साफ़–सफ़ाई करते हैं तथा पुरानी चीज़ों व वस्त्रों को छोड़ देते हैं। घरों को श्वेत रंग से सुशोभित किया जाता है। कृषि में काम आने वाले पशुओं को स्नान आदि कराकर उन्हें विभिन्न प्रकार के रंगों से सजाया जाता है।