हय पंचमी
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- चैत्र शुक्ल पक्ष की पंचमी को इन्द्र का अश्व उच्चै:श्रवा समुद्र से प्रकट हुआ था, अत: उस दिन उसकी पूजा गन्धर्वों (चित्ररथ, चित्रसेन आदि) के साथ की जाती है, क्योंकि वे उसके बन्धु कहे गये हैं।
- हयपंचमी की पूजा में संगीत, मिठाइयों, पोलिकाओं, दही, गुड़, दूध, चावल के आटे का प्रयोग किया जाता है।
- इससे दीर्घ आयु, स्वास्थ्य, युद्ध में विजय की प्राप्ति होती है।[1]
- इस मत्स्यजयन्ती भी कहा गया है।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रत खण्ड 1, 573, शालिहोत्र से उद्धरण); स्मृतिकौस्तुभ (92
- ↑ अहल्याकामधेनु (पाण्डुलिपि, 360 बी
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