वैशाख कृत्य  

वैशाख कृत्य
गंगा नदी का पूजन करते लोग
अनुयायी हिन्दू
तिथि वैशाख पूर्णिमा
धार्मिक मान्यता 'वैशाख पूर्णिमा' के दिन ब्रह्माजी ने काले एवं सफ़ेद तिल उत्पन्न किए थे। अत: उनसे युक्त जल से स्नान करना चाहिए।
अन्य जानकारी वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की सप्तमी को गंगा की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि इसी दिन जह्न ने, जिन्होंने क्रोध में आकर उसे पी लिया था, इसे अपने दाहिने कर्ण से मुक्त किया था।[1]

वैशाख कृत्य अर्थात 'वैशाख मास में किये जाने वाले धार्मिक कार्य'। सम्पूर्ण भारत में वैशाख मास का धार्मिक दृष्टि से बड़ा ही महत्त्व है। हिन्दू धर्म में कई प्रकार के धार्मिक कृत्य इस माह में सम्पन्न किए जाते हैं। हिन्दू मान्यता के अनुसार 'वैशाख पूर्णिमा' के दिन ब्रह्माजी ने काले एवं सफ़ेद तिल उत्पन्न किए थे। अत: उनसे युक्त जल से स्नान करना चाहिए।

धार्मिक मान्यताएँ

वैशाख स्नान


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कृत्यकल्पतरु (नैयतकालिककाण्ड, 387); पद्म पुराण (4|85|41-42); निर्णयसिन्धु (95); स्मृतिकौस्तुभ (112
  2. हेमाद्रि व्रत खण्ड 2, 748-750
  3. कृत्यरत्नाकर 145-179
  4. वर्षक्रियाकौमुदी 240-251
  5. कृत्यतत्त्व 423-430
  6. निर्णयसिन्धु 90-97
  7. स्मृतिकौस्तुभ 108-117
  8. गदाधरपद्धति कालसार 15-23
  9. राजमार्तण्ड; कृत्यरत्नाकर (149), कालविवेक (423-424); स्मृतिकौस्तुभ (106, 108
  10. निर्णयसिन्धु 90
  11. पद्म पुराण 4|85|41-70
  12. कृत्यकल्पतरु (नैयतकालिककाण्ड, 387); पद्म पुराण (4|85|41-42); निर्णयसिन्धु (95); स्मृतिकौस्तुभ (112
  13. कृत्यकल्पतरु (नैयतकालिक 388); कृत्यरत्नाकर (160
  14. निर्णयामृत (56); स्मृतिकौस्तुभ (113
  15. कृत्यकल्पतरु (नैयतकालिककाण्ड 388); हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 167-171); कृत्यरत्नाकर (163-164); स्मृतिकौस्तुभ (115-116); निर्णयसिन्धु (97
  16. लगभग 100-77 ई. पू.
  17. बालपोल राहुल कृत 'बुद्धिज्म इन सीलोन', पृ0 80 (कोलम्बी, 1956

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