अग्नि
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एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अग्नि (बहुविकल्पी) |
अग्नि रासायनिक दृष्टि से अग्नि जीवजनित पदार्थों के कार्बन तथा अन्य तत्वों का ऑक्सीजन से इस प्रकार का संयोग है कि गरमी और प्रकाश उत्पन्न हों। अग्नि की बड़ी उपयोगिता है: जाड़े में हाथ-पैर सेंकने से लेकर परमाणु बम द्वारा नगर का नगर भस्म कर देना, सब अग्नि का ही काम है। इसी से हमारा भोजन पकता है, इसी के द्वारा खनिज पदार्थों से धातुएँ निकाली जाती हैं और इसी से शक्ति उत्पादक इंजन चलते हैं। भूमि में दबे अवशेषों से पता चलता है कि प्राय पृथ्वी पर मनुष्य के प्रादुर्भाव काल से ही उसे अग्नि का ज्ञान था। आज भी पृथ्वी पर बहुत सी जंगली जातियाँ हैं जिनकी सभ्यता एकदम प्रारंभिक है, परंतु ऐसी कोई जाति नहीं है जिसे अग्नि का ज्ञान न हो।
आदिम मनुष्य ने पत्थरों के टकराने से उत्पन्न चिंगारियों को देखा होगा। अधिकांश विद्वानों का मत है कि मनुष्य ने सर्वप्रथम कड़े पत्थरों को एक-दूसरे पर मारकर अग्नि उत्पन्न की होगी।
उत्पत्ति के सम्बन्ध में पौराणिक गाथा
अग्नि की उत्पत्ति के सम्बन्ध में पौराणिक गाथा इस प्रकार है-सर्वप्रथम धर्म की वसु नामक पत्नी से अग्नि उत्पन्न हुआ। उसकी पत्नी स्वाहा से उसके तीन पुत्र हुए-
- पावक
- पवमान
- शुचि
छठे मन्वन्तर में वसु की वसुधारा नामक पत्नी से द्रविणक आदि पुत्र हुए, जिनमें 45 अग्नि-संतान उत्पन्न हुए। इस प्रकार सब मिलाकर 49 अग्नि हैं। विभिन्न कर्मों में अग्नि के भिन्न-भिन्न नाम हैं। लौकिक कर्म में अग्नि का प्रथम नाम पावक है। गृहप्रवेश आदि में निम्नांकित अन्य नाम प्रसिद्ध हैं-
अग्नेस्तु मारुतो नाम गर्भाधाने विधीयते।
पुंसवने चन्द्रनामा शुगांकर्मणि शोभन:।।
सीमन्ते मंगलो नाम प्रगल्भो जातकर्मणि।
नाग्नि स्यात्पार्थिवी ह्यग्नि: प्राशने च शुचिस्तथा।।
सत्यनामाथ चूडायां व्रतादेशे समुद्भव:।
गोदाने सूर्यनामा च केशान्ते ह्यग्निरुच्यते।।
वैश्वानरो विसर्गे तु विवाहे योजक: स्मृत:।
चतुर्थ्यान्तु शिखी नाम धृतिरग्निस्तथा परे।।
प्रायश्चित्ते विधुश्चैव पाकयज्ञे तु साहस:।
लक्षहोमे तु वह्नि:स्यात कोटिहोमे हुताश्न:।।
पूर्णाहुत्यां मृडो नाम शान्तिके वरदस्तथा।
पौष्टिके बलदश्चैव क्रोधाग्निश्चाभिचारिके।।
वश्यर्थे शमनी नाम वरदानेऽभिदूषक:।
कोष्ठे तु जठरी नाम क्रव्यादो मृतभक्षणे।।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- राबर्ट एस. मोल्टन (संपादक): हैंडबुक ऑव फ़ायर प्रोटेक्शन, नैशनल फ़ायर एसोसिएशन (1948, इंग्लैंड);
- जे. डेविडसन फ़ायर इंश्योरेंस (1923)।
- मैकडॉनेल : वैदिक माइथालोजी (स्ट्रासबर्ग);
- कीथ : रिलीजन एण्ड फिलासफी ऑव वेद एण्ड उपनिषद् (हारवर्ड), दो भाग;
- अरविन्द : हिम्स टुद मिस्टिक फायर (पाण्डीचेरी);
- बलदेव उपाध्याय : वैदिक साहित्य और संस्कृति (काशी);
- मराठी ज्ञानकोश (दूसरा खण्ड, पूना)।
- ↑ गोभिलपुत्रकृत संग्रह
- ↑ पाण्डेय, डॉ. राजबली हिन्दू धर्मकोश, 1988 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, पृष्ठ सं 06-08।
- ↑ सजवान, मेजर आनन्दसिंह “खण्ड 1”, हिन्दी विश्वकोश, 1973 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी, पृष्ठ सं 73-75।
- ↑ ऋग्वेद, 2. 1. 9; 7. 15. 12; 1. 1. 9; 4. 1. 9; 3. 1. 7
- ↑ ऋग्वेद 3. 5. 1; 1. 94. 5; 8. 43. 32; 10. 88. 2
- ↑ ऋग्वेद 1. 140. 1
- ↑ ऋग्वेद 3. 5. 10; 1. 94. 14
- ↑ ऋग्वेद 1. 26. 9; 1. 94. 3; 1. 59. 3; 1. 59. 1; 7. 2. 1; 1. 58. 1; 7. 2. 5; 1. 27. 4; 3. 1. 17; 10. 2. 1; 1. 12. 4 आदि
- ↑ ऋग्वेद 3. 9. 5; 6. 8. 4
- ↑ ऋग्वेद 2. 1. 2; 1. 1. 1; 1. 94. 6
- ↑ राजा त्वमध्वराणाम्; ऋग्वेद 3. 1. 18; 7. 11. 4; 2. 8. 3; 8. 43. 24 आदि
- ↑ ऋग्वेद 10. 7. 5
- ↑ ऋग्वेद 10. 8. 5
- ↑ ऋग्वेद 4. 3. 5-8; 4. 5. 4-5
- ↑ ऋग्वेद 7. 93. 7
- ↑ शतपथ ब्राह्मण 1/4/90
- ↑ मिश्र, डॉ. देवेन्द्र “खण्ड 1”, भारतीय संस्कृति कोश, 2009 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: यूनिवर्सिटी पब्लिकेशन, पृष्ठ सं 19।
- ↑ आदित्यपुराण
- ↑ वायु पुराण
- ↑ पाण्डेय, डॉ. राजबली हिन्दू धर्मकोश, 1988 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, पृष्ठ सं 06-08।
- ↑ मिश्र, डॉ. देवेन्द्र “खण्ड 1”, भारतीय संस्कृति कोश, 2009 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: यूनिवर्सिटी पब्लिकेशन, पृष्ठ सं 13।
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