दीपावली
दीपावली
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अन्य नाम | दीवाली, दीपावली |
अनुयायी | हिन्दू, जैन, सिक्ख, आर्य समाज, भारतीय, प्रवासी भारतीय |
उद्देश्य | धार्मिक निष्ठा और मनोरंजन |
प्रारम्भ | पौराणिक काल |
तिथि | कार्तिक मास की अमावस्या |
उत्सव | रोशनी, घरों व दुकानों की सजावट, आतिशबाज़ी |
अनुष्ठान | इस दिन रात्रि के समय प्रत्येक घर में धनधान्य की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मीजी, विघ्न-विनाशक गणेश जी और विद्या एवं कला की देवी मातेश्वरी सरस्वती देवी की पूजा-आराधना की जाती है। |
धार्मिक मान्यता | धर्मग्रंथों के अनुसार कार्तिक अमावस्या को भगवान श्री रामचंद्रजी चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने राम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था। |
संबंधित लेख | धनतेरस, गोवर्धन पूजा, यम द्वितीया, लक्ष्मी, गणेश, लक्ष्मी माता की आरती, गणेश जी की आरती |
दिनांक- 2019 | 27 अक्टूबर, रविवार |
दिनांक- 2020 | 14 नवम्बर, शनिवार |
अन्य जानकारी | इसी दिन गुप्तवंशीय राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने अपने 'विक्रम संवत' की स्थापना की थी। धर्म, गणित तथा ज्योतिष के दिग्गज विद्वानों को आमन्त्रित कर यह मुहूर्त निकलवाया कि नया संवत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से मनाया जाए। |
अद्यतन | 18:46, 8 सितम्बर 2017 (IST)
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धार्मिक मान्यता
दीपावली के दिन आतिशबाज़ी की प्रथा के पीछे सम्भवत: यह धारणा है कि दीपावली-अमावस्या से पितरों की रात आरम्भ होती है। कहीं वे मार्ग भटक न जाएं, इसलिए उनके लिए प्रकाश की व्यवस्था इस रूप में की जाती है। इस प्रथा का बंगाल में विशेष प्रचलन है।
धर्मग्रंथों के अनुसार कार्तिक अमावस्या को भगवान श्री रामचंद्रजी चौदह वर्ष का वनवास काटकर तथा असुरी वृत्तियों के प्रतीक रावण का संहार करके अयोध्या लौटे थे। तब अयोध्यावासियों ने राम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था। इसीलिए दीपावली हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व अलग-अलग नाम और विधानों से पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इसका एक कारण यह भी है कि इसी दिन अनेक विजयश्री युक्त कार्य हुए हैं। बहुत से शुभ कार्यों का प्रारम्भ भी इसी दिन से माना गया है। इसी दिन उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य का राजतिलक हुआ था। विक्रम संवत का आरम्भ भी इसी दिन से माना जाता है। अत: यह नए वर्ष का प्रथम दिन भी है। आज ही के दिन व्यापारी अपने बही-खाते बदलते हैं तथा लाभ-हानि का ब्यौरा तैयार करते हैं।
धनतेरस एवं छोटी दीवाली
वास्तव में धनतेरस, नरक चतुर्दशी (जिसे छोटी दीवाली भी कहा जाता है) तथा महालक्ष्मी पूजन- इन तीनों पर्वों का मिश्रण है दीपावली। भारतीय पद्धति के अनुसार प्रत्येक आराधना, उपासना व अर्चना में आधिभौतिक, आध्यात्मिक और आधिदैविक इन तीनों रूपों का समन्वित व्यवहार होता है। इस मान्यतानुसार इस उत्सव में भी सोने, चांदी, सिक्के आदि के रूप में आधिभौतिक लक्ष्मी का आधिदैविक लक्ष्मी से संबंध स्वीकार करके पूजन किया जाता हैं। घरों को दीपमाला आदि से अलंकृत करना इत्यादि कार्य लक्ष्मी के आध्यात्मिक स्वरूप की शोभा को आविर्भूत करने के लिए किए जाते हैं। इस तरह इस उत्सव में उपरोक्त तीनों प्रकार से लक्ष्मी की उपासना हो जाती है।बाहरी कड़ियाँ
- दीपावली से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
- दीपावली के बारे में प्रचलित पांच किंवदंतियां
- लक्ष्मी-गणेश की पूजन विधि
- दीपावली पर धन-प्राप्ति के चमत्कारी प्रयोग
- दीपावली की तैयारी और उससे जुड़ी कथाएं
- शुभता और शुद्धता का प्रतीक दीपावली
- दीपावली : जानिए समृद्धि के देवताओं को...
- जानें: दीपावली में क्यों होती है लक्ष्मी-गणेश की पूजा?
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- ↑ दिवाली पूजा मुहूर्त, मंत्र और पूजा विधि (हिंदी) livehindustan.com। अभिगमन तिथि: 14 नवंबर, 2020।