मन्दार षष्ठी माघ मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी को होती है। भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- पंचमी पर इसमें हलका भोजन किया जाता है और षष्ठी पर उपवास और मन्दार वृक्ष की पूजा की जाती है।
- दूसरे दिन मन्दार में कुंकुम लगाते हैं और एक ताम्रपत्र पर काले तिल से अष्टदल कमल बनाते हैं।
- मन्दार पुष्पों से आठ दिशाओं में पूर्व से आरम्भ कर विभिन्न नामों से सूर्य की पूजा की जाती है।
- बीजकोष में हरि पूजा की जाती है।
- एक वर्ष तक प्रत्येक मास की सप्तमी पर उसी विधि द्वारा पूजा की जाती है।
- अन्त में स्वर्णिम प्रतिमा के साथ एक घट का दान दिया जाता है।
- हेमाद्रि[१] में इसके बारे में उल्लेख है।
- मन्दार स्वर्ग के पाँच वृक्षों में परिगणित है, अन्य चार हैं–पारिजात, सन्तान, कल्पवृक्ष एवं हरिचन्दन।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि व्रत॰1, 606-608, भविष्योत्तरपुराण 40|1-15 से उद्धरण
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