पौष
पौष
| |
विवरण | पौष विक्रम संवत का दसवाँ महीना या हिन्दू पंचांग के अनुसार साल के दसवें महीने को पौष का महीना कहा जाता है। इस मास में हेमंत ऋतु होने से ठंड अधिक होती है। |
अंग्रेज़ी | दिसम्बर-जनवरी |
हिजरी माह | सफ़र - रबीउल अव्वल |
व्रत एवं त्योहार | सफला एकादशी, सुजन्म द्वादशी, मार्तण्ड सप्तमी |
पिछला | मार्गशीर्ष |
अगला | माघ |
अन्य जानकारी | खर मास के अन्दर अर्जुन ने भीष्म पितामह को धर्म युद्ध में बाणों की शैया से वेध दिया था। सैकड़ों बाणों से विद्ध हो जाने के बावजूद भी भीष्म पितामह ने अपने प्राण नहीं त्यागे। प्राण नहीं त्यागने का मूल कारण यही था कि अगर वह इस खर मास में प्राण त्याग करते हैं तो उनका अगला जन्मनरककी ओर जाएगा। |
पौष विक्रम संवत का दसवाँ महीना या हिन्दू पंचांग के अनुसार साल के दसवें महीने को पौष का महीना कहा जाता है। इस मास में हेमंत ऋतु होने से ठंड अधिक होती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस मास में भग नाम सूर्य की उपासना करना चाहिए।
पौराणिक मान्यता
ऐसी मान्यता है कि पौष मास में भगवान भास्कर ग्यारह हजार रश्मियों के साथ तपकर सर्दी से राहत देते हैं। इनका वर्ण रक्त के समान है। शास्त्रों में ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य को ही भग कहा गया है और इनसे युक्त को ही भगवान माना गया है। यही कारण है कि पौष मास का भग नामक सूर्य साक्षात परब्रह्म का ही स्वरूप माना गया है। पौष मास में सूर्य को अर्ध्य देने तथा उसके निमित्त व्रत करने का भी विशेष महत्व धर्मशास्त्रों में उल्लेखित है। आदित्य पुराण के अनुसार पौष माह के हर रविवार को तांबे के बर्तन में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के फूल डालकर सूर्य को अर्ध्य देना चाहिए तथा विष्णवे नम: मंत्र का जप करना चाहिए। इस मास के प्रति रविवार को व्रत रखकर सूर्य को तिल-चावल की खिचड़ी का भोग लगाने से मनुष्य तेजस्वी बनता है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पौष मास प्रारंभ, करें सूर्य की उपासना (हिंदी) दैनिक भास्कर। अभिगमन तिथि: 22 जून, 2013।
- ↑ पौष मास में जगाएं आध्यात्मिक ऊर्जा (हिंदी) जागरण डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 22 जून, 2013।
- ↑ जोशी, पं. केवल आनंद। क्यों होता है खर मास? (हिंदी) नवभारत टाइम्स। अभिगमन तिथि: 22 जून, 2013।
- ↑ पौष मास से जानें, कैसी होगी अगले साल बारिश (हिंदी) आपका-अख्तर खान "अकेला"। अभिगमन तिथि: 22 जून, 2013।