कालरात्रि सप्तम
|
|
विवरण
|
नवरात्र के सातवें दिन माँ दुर्गा के सातवें स्वरूप 'कालरात्रि' की पूजा होती है।
|
स्वरूप वर्णन
|
इनके शरीर का रंग काला, बाल बिखरे हुए, गले में विद्युत की भाँति चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं जो ब्रह्माण्ड की तरह गोल हैं, जिनमें से बिजली की तरह चमकीली किरणें निकलती रहती हैं। इनका वाहन 'गर्दभ' (गधा) है। दाहिने ऊपर का हाथ वरद मुद्रा में सबको वरदान देती हैं, दाहिना नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है। बायीं ओर के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा और निचले हाथ में खड्ग है।
|
पूजन समय
|
चैत्र शुक्ल सप्तमी को प्रात: काल
|
धार्मिक मान्यता
|
भगवती कालरात्रि का ध्यान, कवच, स्तोत्र का जाप करने से 'भानुचक्र' जागृत होता है। इनकी कृपा से अग्नि भय, आकाश भय, भूत पिशाच स्मरण मात्र से ही भाग जाते हैं।
|
संबंधित लेख
|
काली देवी
|
अन्य जानकारी
|
इस दिन साधक का मन सहस्त्रारचक्र में अवस्थित होता है। साधक के लिए सभी सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है।
|