"शाम्भरायणी व्रत" के अवतरणों में अंतर
[अनिरीक्षित अवतरण] | [अनिरीक्षित अवतरण] |
शिल्पी गोयल (चर्चा | योगदान) |
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - "==संबंधित लिंक==" to "==सम्बंधित लिंक==") |
||
पंक्ति १५: | पंक्ति १५: | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
− | == | + | ==सम्बंधित लिंक== |
{{पर्व और त्योहार}} | {{पर्व और त्योहार}} | ||
{{व्रत और उत्सव}} | {{व्रत और उत्सव}} |
११:४६, ११ सितम्बर २०१० का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- शाम्भरायणी व्रत एक नक्षत्र व्रत है।
- शाम्भरायणीव्रत देवता अच्युत; सात वर्षों तक; 12 नक्षत्रों, यथा–कृत्तिका, मृगशिरा, पुष्य.....से वर्ष के 12 मासों के नाम, यथा कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष आदि करना चाहिए।
- कार्तिक में आरम्भ, नैवेद्य, प्रथम चार मासों के लिए खिचड़ी (कृशर), फाल्गुन से आगे के मासों में संयाव तथा आषाढ़ से आगे के चार मासों में पायस करना चाहिए।
- ब्राह्मणों को नैवेद्य का ही भोज कराना चाहिए।
- ब्राह्मण नारी शांभरायणी (जिससे बृहस्पति ने इन्द्र के पूर्व के विषय में पूछा था) की प्रतिमा का स्थापन करना चाहिए।
- कृष्ण ने इस श्रद्धेया नारी की गाथा सुनायी है।[१]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 659-665, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण)
सम्बंधित लिंक
|