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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक [[व्रत]] संस्कार है।  
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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक [[व्रत]] संस्कार है।  
 
*[[भाद्रपद]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] की [[तृतीया]] को सूप में उगाये गये सात धान्यों के अंकुरों पर काली की पूजा की जाती है।  
 
*[[भाद्रपद]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] की [[तृतीया]] को सूप में उगाये गये सात धान्यों के अंकुरों पर काली की पूजा की जाती है।  
*सधवा नारियाँ उसे रात्रि में किसी तालाब में जाकर उसका विसर्जन करती हैं।<ref> हेमाद्रि (व्रत0 1, 435-439</ref>,<ref> भविष्योत्तरपुराण 20|1-28)</ref>
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*सधवा नारियाँ उसे रात्रि में किसी तालाब में जाकर उसका विसर्जन करती हैं।<ref> हेमाद्रि (व्रत0 1, 435-439</ref>,<ref> भविष्योत्तरपुराण 20|1-28</ref>
 
*कथा यों है– काली [[दक्ष]] की पुत्री थीं, वे काले रंग की थी और [[महादेव]] से उनका विवाह हुआ था। एक बार देवों की सभा में महादेव ने उन्हें अंजन के समान काली कहा। वे क्रोधित हो उठीं और अपने रंग को घास की भूमि पर छोड़कर [[आग|अग्नि]] में कूद पड़ीं।  
 
*कथा यों है– काली [[दक्ष]] की पुत्री थीं, वे काले रंग की थी और [[महादेव]] से उनका विवाह हुआ था। एक बार देवों की सभा में महादेव ने उन्हें अंजन के समान काली कहा। वे क्रोधित हो उठीं और अपने रंग को घास की भूमि पर छोड़कर [[आग|अग्नि]] में कूद पड़ीं।  
 
*वे पुन: [[गौरी]] के रूप में उत्पन्न हुईं और महादेव की पत्नी बनी।  
 
*वे पुन: [[गौरी]] के रूप में उत्पन्न हुईं और महादेव की पत्नी बनी।  
*काली के द्वारा त्यक्त काला रंग [[कात्यायनी षष्टमं|कात्यायनी]] बन गया। जिन्होंने देवी के कार्यों में बड़ी सहायता की।  
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*काली के द्वारा त्यक्त काला रंग [[कात्यायनी षष्टम|कात्यायनी]] बन गया। जिन्होंने देवी के कार्यों में बड़ी सहायता की।  
 
*देवों ने उन्हें वरदान दिया कि जो व्यक्ति उनकी पूजा हरी घास में करेगा वह प्रसन्नता, दीर्घायु एवं सौभाग्य प्राप्त करेगा।  
 
*देवों ने उन्हें वरदान दिया कि जो व्यक्ति उनकी पूजा हरी घास में करेगा वह प्रसन्नता, दीर्घायु एवं सौभाग्य प्राप्त करेगा।  
 
*प्रकाशित हेमाद्रि (व्रत) में 'हरि काली' शब्द आया है, किन्तु यहाँ 'हरि' ([[विष्णु]]) के विषय में कोई प्रश्न नहीं उठता। सम्भवत: यहाँ 'हरि' का अर्थ है 'पिंगल रंग' (काली एक बार भूरी या पिंगली थी, गोरी नहीं थीं)।
 
*प्रकाशित हेमाद्रि (व्रत) में 'हरि काली' शब्द आया है, किन्तु यहाँ 'हरि' ([[विष्णु]]) के विषय में कोई प्रश्न नहीं उठता। सम्भवत: यहाँ 'हरि' का अर्थ है 'पिंगल रंग' (काली एक बार भूरी या पिंगली थी, गोरी नहीं थीं)।
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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१३:०१, २७ जुलाई २०११ के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • भाद्रपद शुक्ल की तृतीया को सूप में उगाये गये सात धान्यों के अंकुरों पर काली की पूजा की जाती है।
  • सधवा नारियाँ उसे रात्रि में किसी तालाब में जाकर उसका विसर्जन करती हैं।[१],[२]
  • कथा यों है– काली दक्ष की पुत्री थीं, वे काले रंग की थी और महादेव से उनका विवाह हुआ था। एक बार देवों की सभा में महादेव ने उन्हें अंजन के समान काली कहा। वे क्रोधित हो उठीं और अपने रंग को घास की भूमि पर छोड़कर अग्नि में कूद पड़ीं।
  • वे पुन: गौरी के रूप में उत्पन्न हुईं और महादेव की पत्नी बनी।
  • काली के द्वारा त्यक्त काला रंग कात्यायनी बन गया। जिन्होंने देवी के कार्यों में बड़ी सहायता की।
  • देवों ने उन्हें वरदान दिया कि जो व्यक्ति उनकी पूजा हरी घास में करेगा वह प्रसन्नता, दीर्घायु एवं सौभाग्य प्राप्त करेगा।
  • प्रकाशित हेमाद्रि (व्रत) में 'हरि काली' शब्द आया है, किन्तु यहाँ 'हरि' (विष्णु) के विषय में कोई प्रश्न नहीं उठता। सम्भवत: यहाँ 'हरि' का अर्थ है 'पिंगल रंग' (काली एक बार भूरी या पिंगली थी, गोरी नहीं थीं)।

 


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रत0 1, 435-439
  2. भविष्योत्तरपुराण 20|1-28

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