"राजराजेश्वर व्रत" के अवतरणों में अंतर
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*यह व्रत जब [[स्वाति नक्षत्र]] हो और [[बुधवार]] हो तो उस [[अष्टमी]] पर उपवास रखके करना चाहिए। | *यह व्रत जब [[स्वाति नक्षत्र]] हो और [[बुधवार]] हो तो उस [[अष्टमी]] पर उपवास रखके करना चाहिए। | ||
*इस व्रत में पकवानों एवं मिठाइयों के नैवेद्य से [[शिव]] पूजा करनी चाहिए। | *इस व्रत में पकवानों एवं मिठाइयों के नैवेद्य से [[शिव]] पूजा करनी चाहिए। | ||
*शिव की प्रतिमा के समक्ष आचार्य को कण्ठहार, मुकुट, मेखला, कर्णफूल, दो अँगूठियाँ, एक हाथी या अश्व का दान करना चाहिए। | *शिव की प्रतिमा के समक्ष आचार्य को कण्ठहार, मुकुट, मेखला, कर्णफूल, दो अँगूठियाँ, एक हाथी या अश्व का दान करना चाहिए। | ||
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*'राजराज' का अर्थ है '[[कुबेर]]' एवं 'शिव' का मित्र तथा राजराजेश्वर का अर्थ शिव या कुबेर (यक्षपति) हो सकता है। | *'राजराज' का अर्थ है '[[कुबेर]]' एवं 'शिव' का मित्र तथा राजराजेश्वर का अर्थ शिव या कुबेर (यक्षपति) हो सकता है। | ||
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१२:५९, २७ जुलाई २०११ के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- यह व्रत जब स्वाति नक्षत्र हो और बुधवार हो तो उस अष्टमी पर उपवास रखके करना चाहिए।
- इस व्रत में पकवानों एवं मिठाइयों के नैवेद्य से शिव पूजा करनी चाहिए।
- शिव की प्रतिमा के समक्ष आचार्य को कण्ठहार, मुकुट, मेखला, कर्णफूल, दो अँगूठियाँ, एक हाथी या अश्व का दान करना चाहिए।
- इसके करने से कर्ता अगणित वर्षों तक कुबेर की स्थिति प्राप्त करता है।[१]
- 'राजराज' का अर्थ है 'कुबेर' एवं 'शिव' का मित्र तथा राजराजेश्वर का अर्थ शिव या कुबेर (यक्षपति) हो सकता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 864, कालोत्तरपुराण से उद्धरण
संबंधित लेख
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