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*पुरुषोत्तम की यात्रा के अवसर पर मुरारिकृत अनर्घराघव का अभिनय किया गया था। जहाँ पर महादेव पृथ्वीश्वर की देवद्रोणी (प्रतिमा यात्रा) का उल्लेख है। | *पुरुषोत्तम की यात्रा के अवसर पर मुरारिकृत अनर्घराघव का अभिनय किया गया था। जहाँ पर महादेव पृथ्वीश्वर की देवद्रोणी (प्रतिमा यात्रा) का उल्लेख है। | ||
− | *कृत्यकल्पतरु <ref> | + | *कृत्यकल्पतरु<ref>राजधर्म0 पृ0 178-181</ref> में देवयात्रा विधि वर्णित है।<ref>राजनीतिप्रकाश (416-419</ref> |
*प्रति वर्ष [[वैशाख मास|वैशाख]] से आगे 6 मासों तक, पहली से 15वीं तिथि तक विभिन्न देवों की पूजा होती है, जैसे- [[ब्रह्मा]] की, जो तिथियों के स्वामी कहे जाते हैं। | *प्रति वर्ष [[वैशाख मास|वैशाख]] से आगे 6 मासों तक, पहली से 15वीं तिथि तक विभिन्न देवों की पूजा होती है, जैसे- [[ब्रह्मा]] की, जो तिथियों के स्वामी कहे जाते हैं। | ||
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१२:५८, २७ जुलाई २०११ के समय का अवतरण
- अति प्राचीन कालों से ही देवों की यात्राएँ प्रसिद्ध रही हैं।
- कालप्रियानाथ की यात्रा के अवसर पर भवभूतिकृत महावीर रचित का अभिनय किया गया था।
- रघुनन्दन द्वारा प्रणीत माना गया 'यात्रातत्त्व' में विष्णु की 12 यात्राओं का वर्णन है।
- पुरुषोत्तम की यात्रा के अवसर पर मुरारिकृत अनर्घराघव का अभिनय किया गया था। जहाँ पर महादेव पृथ्वीश्वर की देवद्रोणी (प्रतिमा यात्रा) का उल्लेख है।
- कृत्यकल्पतरु[१] में देवयात्रा विधि वर्णित है।[२]
- प्रति वर्ष वैशाख से आगे 6 मासों तक, पहली से 15वीं तिथि तक विभिन्न देवों की पूजा होती है, जैसे- ब्रह्मा की, जो तिथियों के स्वामी कहे जाते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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