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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक [[व्रत]] संस्कार है।  
 
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक [[व्रत]] संस्कार है।  
 
*जब [[विष्णु]] शयन से उठते हैं तो [[कार्तिक]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] [[एकादशी]] से पाँच दिन कार्तिक [[पूर्णिमा]] तक 'बक पंचक' कहलाता है।  
 
*जब [[विष्णु]] शयन से उठते हैं तो [[कार्तिक]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] [[एकादशी]] से पाँच दिन कार्तिक [[पूर्णिमा]] तक 'बक पंचक' कहलाता है।  
*ऐसा कहा गया है कि इन दिनों में सारस (बक) भी मांस नहीं खाता है; अतः मनुष्यों को इन दिनों में मांस-परित्याग करना चाहिए;<ref> कालविवेक (338)</ref>; <ref>कृत्यरत्नाकर (425)</ref>; <ref>वर्षक्रियाकौमुदी (479)</ref>; <ref>कृत्यतत्त्व (454)</ref>
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*ऐसा कहा गया है कि इन दिनों में सारस (बक) भी मांस नहीं खाता है; अतः मनुष्यों को इन दिनों में मांस-परित्याग करना चाहिए।<ref> कालविवेक (338)</ref>; <ref>कृत्यरत्नाकर (425)</ref>; <ref>वर्षक्रियाकौमुदी (479)</ref>; <ref>कृत्यतत्त्व (454)</ref>
 
 
 
 
 
 
  
 
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०८:०८, १९ सितम्बर २०१० का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • जब विष्णु शयन से उठते हैं तो कार्तिक शुक्ल एकादशी से पाँच दिन कार्तिक पूर्णिमा तक 'बक पंचक' कहलाता है।
  • ऐसा कहा गया है कि इन दिनों में सारस (बक) भी मांस नहीं खाता है; अतः मनुष्यों को इन दिनों में मांस-परित्याग करना चाहिए।[१]; [२]; [३]; [४]

 


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कालविवेक (338)
  2. कृत्यरत्नाकर (425)
  3. वर्षक्रियाकौमुदी (479)
  4. कृत्यतत्त्व (454)

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