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*पुण्डरीक यज्ञ की फल प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 1204)।</ref> | *पुण्डरीक यज्ञ की फल प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 1204)।</ref> | ||
− | *[[वन पर्व महाभारत|वनपर्व]]<ref>वनपर्व (30|117 | + | *[[वन पर्व महाभारत|वनपर्व]]<ref>वनपर्व (30|117</ref> के मत से यह [[अश्वमेध यज्ञ|अश्वमेध]] एवं [[राजसूय यज्ञ|राजसूय]] के समान एक महान् यज्ञ है। |
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११:०८, १ अगस्त २०१७ के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- द्वादशी को जल देवता वरुण की पूजा की पूजा की जाती है।
- पुण्डरीक यज्ञ की फल प्राप्ति होती है।[१]
- वनपर्व[२] के मत से यह अश्वमेध एवं राजसूय के समान एक महान् यज्ञ है।
- आश्वलायन श्रौतसूत्र[३] जहाँ पुण्डरीकयाग का उल्लेख है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
अन्य संबंधित लिंक
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