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*वस्त्र, झण्डों, छत्र, दर्पणों, मालाओं, सिंहों, चित्रों से अलंकृत देवी रथ की पूजा की जाती है। | *वस्त्र, झण्डों, छत्र, दर्पणों, मालाओं, सिंहों, चित्रों से अलंकृत देवी रथ की पूजा की जाती है। |
१७:५४, २५ फ़रवरी २०११ का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- आश्विन कृष्ण पक्ष की नवमी पर उपवास एवं दुर्गा पूजा की जाती है।
- वस्त्र, झण्डों, छत्र, दर्पणों, मालाओं, सिंहों, चित्रों से अलंकृत देवी रथ की पूजा की जाती है।
- रथ में महिष पर त्रिशूल रखने वाली दुर्गा की स्वर्ण प्रतिमा को रख दिया जाता है।
- जन मार्ग से रथ को ले जाकर दुर्गा मन्दिर के पास लाया जाता है।
- मशालों, नाटक, नृत्यों आदि से रात भर जागरण (जागर) होता है।
- दूसरे दिन प्रातः प्रतिमा स्नान का होता है।
- देवी के भक्तों को भोजन करा जाता है।
- शय्या, बैल, गाय आदि के दान से पुण्य प्राप्त होता है।[१]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कृत्यरत्नाकर (314-315)।
अन्य संबंधित लिंक
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