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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
 
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
 
*सात प्रकार के अन्न, यथा—यव (जौ), गेहूँ, धान्य, तिल, कंगु, श्यामक एवं चीनक आदि का प्रयोग होता है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड, 1, 48, षट्-त्रिशन्मत से उद्धरण)</ref>  
 
*सात प्रकार के अन्न, यथा—यव (जौ), गेहूँ, धान्य, तिल, कंगु, श्यामक एवं चीनक आदि का प्रयोग होता है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड, 1, 48, षट्-त्रिशन्मत से उद्धरण)</ref>  
*कृत्यरत्नाकर<ref>70, यहाँ पर टिप्पणी है कि कुछ लोग चीनक के स्थान पर देवधान्य रखते हैं</ref>, [[विष्णु पुराण]]<ref>विष्णु पुराण, (1|6|21-22)/ref>, [[वायु पुराण]]<ref>वायु पुराण,(8|150-152)</ref> एवं [[मार्कण्डेय पुराण]]<ref>मार्कण्डेय पुराण, (46|67-69)</ref> ने 17 धान्यों तथा व्रतराज<ref>पृ0 17</ref> ने 18 धान्यों का उल्लेख किया है।
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*कृत्यरत्नाकर<ref>70, यहाँ पर टिप्पणी है कि कुछ लोग चीनक के स्थान पर देवधान्य रखते हैं</ref>, [[विष्णु पुराण]]<ref>विष्णु पुराण, (1|6|21-22)</ref>, [[वायु पुराण]]<ref>वायु पुराण,(8|150-152)</ref> एवं [[मार्कण्डेय पुराण]]<ref>मार्कण्डेय पुराण, (46|67-69)</ref> ने 17 धान्यों तथा व्रतराज<ref>पृ0 17</ref> ने 18 धान्यों का उल्लेख किया है।
 
 
 
 
 
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड, 1, 48, षट्-त्रिशन्मत से उद्धरण)
  2. 70, यहाँ पर टिप्पणी है कि कुछ लोग चीनक के स्थान पर देवधान्य रखते हैं
  3. विष्णु पुराण, (1|6|21-22)
  4. वायु पुराण,(8|150-152)
  5. मार्कण्डेय पुराण, (46|67-69)
  6. पृ0 17

अन्य संबंधित लिंक

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