"अवमदिन" के अवतरणों में अंतर
[अनिरीक्षित अवतरण] | [अनिरीक्षित अवतरण] |
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - ")</ref" to "</ref") |
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - "ref> (" to "ref>") |
||
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | ||
*अवमदिन वह दिन है जब दो तिथियों का अन्त होता है। | *अवमदिन वह दिन है जब दो तिथियों का अन्त होता है। | ||
− | *निर्ण्यसिन्धु<ref> | + | *निर्ण्यसिन्धु<ref>निर्ण्यसिन्धु 153</ref> में रत्नमाला से उद्धरण है-:<blockquote>"यत्रैकः स्पृशते तिथिद्वयावासानं वारश्चेदवमदिनं तदुक्तमार्यैः।"</blockquote> |
*किसी व्रत के आरम्भ के लिए इसका परिहार करना चाहिए क्योंकि यहाँ एक तिथि का क्षय है। | *किसी व्रत के आरम्भ के लिए इसका परिहार करना चाहिए क्योंकि यहाँ एक तिथि का क्षय है। | ||
१४:१२, २७ जुलाई २०११ के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- अवमदिन वह दिन है जब दो तिथियों का अन्त होता है।
- निर्ण्यसिन्धु[१] में रत्नमाला से उद्धरण है-:
"यत्रैकः स्पृशते तिथिद्वयावासानं वारश्चेदवमदिनं तदुक्तमार्यैः।"
- किसी व्रत के आरम्भ के लिए इसका परिहार करना चाहिए क्योंकि यहाँ एक तिथि का क्षय है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ निर्ण्यसिन्धु 153
अन्य संबंधित लिंक
|