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*अवमदिन वह दिन है जब दो तिथियों का अन्त होता है। | *अवमदिन वह दिन है जब दो तिथियों का अन्त होता है। | ||
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*किसी व्रत के आरम्भ के लिए इसका परिहार करना चाहिए क्योंकि यहाँ एक तिथि का क्षय है। | *किसी व्रत के आरम्भ के लिए इसका परिहार करना चाहिए क्योंकि यहाँ एक तिथि का क्षय है। | ||
१२:३८, २७ जुलाई २०११ का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- अवमदिन वह दिन है जब दो तिथियों का अन्त होता है।
- निर्ण्यसिन्धु[१] में रत्नमाला से उद्धरण है-:
"यत्रैकः स्पृशते तिथिद्वयावासानं वारश्चेदवमदिनं तदुक्तमार्यैः।"
- किसी व्रत के आरम्भ के लिए इसका परिहार करना चाहिए क्योंकि यहाँ एक तिथि का क्षय है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ (निर्ण्यसिन्धु 153
अन्य संबंधित लिंक
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