गणतंत्र दिवस  


गणतंत्र दिवस
विवरण प्रत्येक वर्ष का 26 जनवरी एक ऐसा दिन है जब प्रत्‍येक भारतीय के मन में देश भक्ति की लहर और मातृभूमि के प्रति अपार स्‍नेह भर उठता है।
उद्देश्य यह आयोजन हमें देश के सभी शहीदों के नि:स्‍वार्थ बलिदान की याद दिलाता है, जिन्‍होंने आज़ादी के संघर्ष में अपने जीवन बलिदान कर दिए और विदेशी आक्रमणों के विरुद्ध अनेक लड़ाइयाँ जीती।
इतिहास 26 जनवरी, 1950 को देश का संविधान लागू हुआ और इस प्रकार भारत सरकार के संसदीय रूप के साथ एक संप्रभुताशाली समाजवादी लोक‍तांत्रिक गणतंत्र के रूप में भारत देश सामने आया। भारतीय संविधान, जिसे देश की सरकार की रूपरेखा का प्रतिनिधित्‍व करने वाले पर्याप्‍त विचार विमर्श के बाद विधान मंडल द्वारा अपनाया गया, तब से 26 जनवरी को भारत के गणतंत्र दिवस के रूप में भारी उत्‍साह के साथ मनाया जाता है और इसे राष्‍ट्रीय अवकाश घोषित किया जाता है।
विशेष प्रधानमंत्री द्वारा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्‍या (25 जनवरी) पर राष्ट्र के नाम संदेश प्रसारित किया जाता है। इसके बाद अगले दिन, जो जवान आज़ादी की लड़ाई में शहीद हुए उनकी याद में इंडिया गेट पर अमर ज्योति जलाई जाती है। इसके शीघ्र बाद 21 तोपों की सलामी दी जाती है और राष्ट्रपति महोदय द्वारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज फहराया जाता है एवं राष्‍ट्रगान होता है। महामहिम राष्ट्रपति के साथ एक उल्‍लेखनीय विदेशी राष्ट्र प्रमुख आते हैं, जिन्‍हें आयोजन के मुख्‍य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है।
संबंधित लेख गणतंत्र दिवस का इतिहास, गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि, बीटिंग द रिट्रीट, स्वतंत्रता दिवस, भारतीय क्रांति दिवस, विजय दिवस, भारत का विभाजन
अन्य जानकारी पहली बार 21 तोपों की सलामी के बाद राष्‍ट्रीय ध्‍वज को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने फहरा कर 26 जनवरी, 1950 को भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक जन्‍म की घो‍षणा की। ब्रिटिश राज से आज़ादी पाने के 894 दिन बाद हमारा देश स्‍वतंत्र राज्‍य बना।

गणतंत्र दिवस (अंग्रेज़ी: Republic Day) भारत में 26 जनवरी को मनाया जाता है और यह भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है। हर वर्ष 26 जनवरी एक ऐसा दिन है जब प्रत्‍येक भारतीय के मन में देश भक्ति की लहर और मातृभूमि के प्रति अपार स्‍नेह भर उठता है। ऐसी अनेक महत्त्वपूर्ण स्‍मृतियां हैं जो इस दिन के साथ जुड़ी हुई है। 26 जनवरी, 1950 को देश का संविधान लागू हुआ और इस प्रकार यह सरकार के संसदीय रूप के साथ एक संप्रभुताशाली समाजवादी लोक‍तांत्रिक गणतंत्र के रूप में भारत देश सामने आया। भारतीय संविधान, जिसे देश की सरकार की रूपरेखा का प्रतिनिधित्‍व करने वाले पर्याप्‍त विचार विमर्श के बाद विधान मंडल द्वारा अपनाया गया, तब से 26 जनवरी को भारत के गणतंत्र दिवस के रूप में भारी उत्‍साह के साथ मनाया जाता है और इसे राष्‍ट्रीय अवकाश घोषित किया जाता है। यह आयोजन हमें देश के सभी शहीदों के नि:स्‍वार्थ बलिदान की याद दिलाता है, जिन्‍होंने आज़ादी के संघर्ष में अपने जीवन बलिदान कर दिए और विदेशी आक्रमणों के विरुद्ध अनेक लड़ाइयाँ जीती। 26 जनवरी, 2022 को भारत ने अपना 73वाँ गणतंत्र दिवस मना रहा है।

इतिहास

भारत के संविधान को लागू किए जाने से पहले भी 26 जनवरी का बहुत महत्त्व था। 26 जनवरी को विशेष दिन के रूप में चिह्नित किया गया था, 31 दिसंबर सन् 1929 के मध्‍य रात्रि में राष्‍ट्र को स्वतंत्र बनाने की पहल करते हुए लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में हु‌आ,

जिसमें प्रस्ताव पारित कर इस बात की घोषणा की ग‌ई कि यदि अंग्रेज़ सरकार 26 जनवरी, 1930 तक भारत को उपनिवेश का पद (डोमीनियन स्टेटस) नहीं प्रदान करेगी तो भारत अपने को पूर्ण स्वतंत्र घोषित कर देगा।

26 जनवरी, 1930 तक जब अंग्रेज़ सरकार ने कुछ नहीं किया तब कांग्रेस ने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय आंदोलन आरंभ किया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इस लाहौर अधिवेशन में पहली बार तिरंगे झंडे को फहराया गया था परंतु साथ ही इस दिन सर्वसम्मति से एक और महत्त्वपूर्ण फैसला लिया गया कि प्रतिवर्ष 26 जनवरी का दिन पूर्ण स्वराज दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन सभी स्वतंत्रता सेनानी पूर्ण स्वराज का प्रचार करेंगे। इस तरह 26 जनवरी अघोषित रूप से भारत का स्वतंत्रता दिवस बन गया था। उस दिन से 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त होने तक 26 जनवरी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा।

भारतीय संविधान सभा

उसी समय भारतीय संविधान सभा की बैठकें होती रहीं, जिसकी पहली बैठक 9 दिसंबर, 1946 को हुई, जिसमें भारतीय नेताओं और अंग्रेज़ कैबिनेट मिशन ने भाग लिया। भारत को एक संविधान देने के विषय में कई चर्चाएँ, सिफारिशें और वाद - विवाद किया गया। कई बार संशोधन करने के पश्चात् भारतीय संविधान को अंतिम रूप दिया गया जो 3 वर्ष बाद यानी 26 नवंबर, 1949 को आधिकारिक रूप से अपनाया गया।

सन 1950, प्रथम गणतंत्र दिवस में जवाहरलाल नेहरू

15 अगस्त, 1947 में अंग्रेजों ने भारत की सत्ता की बागडोर जवाहरलाल नेहरू के हाथों में दे दी, लेकिन भारत का ब्रिटेन के साथ नाता या अंग्रेजों का अधिपत्य समाप्त नहीं हुआ। भारत अभी भी एक ब्रिटिश कॉलोनी की तरह था, जहाँ की मुद्रा पर जॉर्ज 6 की तस्वीरें थी।

आज़ादी मिलने के बाद तत्कालीन सरकार ने देश के संविधान को फिर से परिभाषित करने की ज़रूरत महसूस की और संविधान सभा का गठन किया जिसकी अध्यक्षता डॉ. भीमराव अम्बेडकर को मिली, 25 नवम्बर, 1949 को 211 विद्वानों द्वारा 2 महीने और 11 दिन में तैयार देश के संविधान को मंजूरी मिली। 24 जनवरी, 1950 को सभी सांसदों और विधायकों ने इस पर हस्ताक्षर किए। और इसके दो दिन बाद यानी 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू कर दिया गया। इस अवसर पर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली तथा 21 तोपों की सलामी के बाद 'इर्विन स्‍टेडियम' में भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज 'तिरंगा' को फहराकर भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक जन्‍म की घो‍षणा की थी। 26 जनवरी का महत्त्व बना‌ए रखने के लि‌ए विधान निर्मात्री सभा (कांस्टीट्यू‌एंट असेंबली) द्वारा स्वीकृत संविधान में भारत के गणतंत्र स्वरूप को मान्यता प्रदान की ग‌ई। इस तरह से 26 जनवरी एक बार फिर सुर्खियों में आ गया। यह एक संयोग ही था कि 'कभी भारत का पूर्ण स्वराज दिवस के रूप में मनाया जाने वाला दिन अब भारत का गणतंत्र दिवस' बन गया था।

अंग्रेजों के शासनकाल से छुटकारा पाने के 894 दिन बाद हमारा देश स्‍वतंत्र राष्ट्र बना। तब से आज तक हर वर्ष राष्‍ट्रभर में बड़े गर्व और हर्षोल्लास के साथ गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। तदनंतर स्वतंत्रता प्राप्ति के वास्तविक दिन 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकार किया गया। यही वह दिन था जब 1965 में हिन्दी को भारत की राजभाषा घोषित किया गया।

गणतंत्र की यात्रा

सबसे पहली बार 21 तोपों की सलामी के बाद भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने फहरा कर 26 जनवरी, 1950 को भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक जन्‍म की घो‍षणा की। ब्रिटिश राज से आज़ादी पाने के 894 दिन बाद हमारा देश स्‍वतंत्र राज्‍य बना। तब से हर वर्ष पूरे राष्ट्र में बड़े उत्‍साह और गर्व से यह दिन मनाया जाता है। एक ब्रिटिश उपनिवेश से एक सम्‍प्रभुतापूर्ण, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में भारत का निर्माण एक ऐतिहासिक घटना रही। यह लगभग 2 दशक पुरानी यात्रा थी जो 1930 में एक सपने के रूप में संकल्पित की गई और 1950 में इसे साकार किया गया। भारतीय गणतंत्र की इस यात्रा पर एक नज़र डालने से हमारे आयोजन और भी अधिक सार्थक हो जाते हैं।[१]

सांस्‍कृतिक कार्यक्रम और आयोजन

गणतंत्र दिवस के आयोजन
गणतंत्र दिवस की परेड, नई दिल्ली
गणतंत्र दिवस मनाते बच्चे
एन.सी.सी. छात्र
गणतंत्र दिवस रैली
लोकनृत्य करते कलाकार
गणतंत्र दिवस की परेड
गणतंत्र दिवस मनाती लड़कियाँ

गणतंत्र दिवस भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय त्योहार है, इस दिन राष्ट्रपति इंडिया गेट पर भारत के सब राज्यों से आए हुए प्रतिनिधियों तथा भारत की तीनों सेनाओं की सलामी लेते हैं। अनेक प्रकार की सुन्दर–सुन्दर झाँकियाँ नाच-गाने, बैण्ड-बाजे, हाथी, ऊँट, घोड़ों की सवारियाँ, टैंक, तोप, समुद्री जहाज़ और हवाई जहाज़ के नमूने कृषि और उद्योग की झाँकियाँ, स्कूली बच्चों के नाच-गाने करते हुए ग्रुप राष्ट्रपति को सलामी देते हुए चलते हैं। जो कि विजय चौक से शुरू होकर लाल क़िले तक जाते हैं। इस उत्सव में किसी दूसरे देश का कोई मेहमान बुलाया जाता है। उस दिन दर्शकों की इतनी भीड़ होती है कि इंडिया गेट पर ऐसा मालूम होता है जैसे इन्सानों का समुद्र लहरा रहा हो। रात को इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन, सेंट्रल सेक्रेटेरियट, संसद भवन तथा मुख्य सरकारी इमारतों पर रोशनी की जाती है।

  • असली मायनों में भारत की जनता को राज्य 26 जनवरी सन् 1950 से ही प्राप्त हुआ। 15 अगस्त सन् 1947 को हम आज़ाद ज़रूर हो गए थे लेकिन हमारा कोई संविधान लागू नहीं हुआ था और न ही कोई गणराज्य का राष्ट्रपति था।
  • अंग्रेज़ भारत को छोड़कर चले गए और 26 जनवरी को जनता का राज्य हुआ, इसलिए 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं। जो जवान आज़ादी की लड़ाई में शहीद हुए उनकी याद में इंडिया गेट पर अमर ज्योति जलाई जाती है।
  • इसके शीघ्र बाद 21 तोपों की सलामी दी जाती है, राष्ट्रपति महोदय द्वारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज फहराया जाता है और राष्‍ट्रगान होता है। इस प्रकार परेड आरंभ होती है। महामहिम राष्ट्रपति के साथ एक उल्‍लेखनीय विदेशी राष्‍ट्र प्रमुख आते हैं, जिन्‍हें आयोजन के मुख्‍य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है।
  • राष्ट्रपति महोदय के सामने से खुली जीपों में वीर सैनिक गुजरते हैं। भारत के राष्ट्रपति, जो भारतीय सशस्‍त्र बल, के मुख्‍य कमांडर हैं, विशाल परेड की सलामी लेते हैं। भारतीय सेना द्वारा इसके नवीनतम हथियारों और बलों का प्रदर्शन किया जाता है जैसे टैंक, मिसाइल, राडार आदि। इसके शीघ्र बाद राष्ट्रपति द्वारा सशस्‍त्र सेना के सैनिकों को बहादुरी के पुरस्‍कार और मेडल दिए जाते हैं जिन्‍होंने अपने क्षेत्र में अभूतपूर्व साहस दिखाया और ऐसे नागरिकों को भी सम्‍मानित किया जाता है जिन्‍होंने विभिन्‍न परिस्थितियों में वीरता के अलग-अलग कारनामे किए। इसके बाद सशस्‍त्र सेना के हेलिकॉप्‍टर दर्शकों पर गुलाब की पंखुडियों की बारिश करते हुए फ्लाई पास्‍ट करते हैं।

सांस्‍कृतिक परेड

सेना की परेड के बाद रंगारंग सांस्‍कृतिक परेड होती है। विभिन्‍न राज्‍यों से आई झांकियों के रूप में भारत की समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत को दर्शाया जाता है। प्रत्‍येक राज्‍य अपने अनोखे त्‍यौहारों, ऐतिहासिक स्‍थलों और कला का प्रदर्शन करते हैं। यह प्रदर्शनी भारत की संस्कृति की विविधता और समृद्धि को एक त्‍यौहार का रंग देती है। विभिन्‍न सरकारी विभागों और भारत सरकार के मंत्रालयों की झांकियां भी राष्‍ट्र की प्रगति में अपने योगदान प्रस्‍तुत करती है। इस परेड का सबसे खुशनुमा हिस्‍सा तब आता है जब बच्‍चे, जिन्‍हें राष्‍ट्रीय वीरता पुरस्‍कार हाथियों पर बैठकर सामने आते हैं। पूरे देश के स्‍कूली बच्‍चे परेड में अलग-अलग लोक नृत्‍य और देश भक्ति की धुनों पर गीत प्रस्‍तुत करते हैं। परेड में कुशल मोटर साइकिल सवार, जो सशस्‍त्र सेना कार्मिक होते हैं, अपने प्रदर्शन करते हैं। परेड का सर्वाधिक प्रतीक्षित भाग फ्लाई पास्‍ट है जो भारतीय वायु सेना द्वारा किया जाता है। फ्लाई पास्‍ट परेड का अंतिम पड़ाव है, जब भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान राष्ट्रपति का अभिवादन करते हुए मंच पर से गुजरते हैं।

प्रधानमंत्री की रैली

गणतंत्र दिवस का आयोजन कुल मिलाकर तीन दिनों का होता है और 27 जनवरी को इंडिया गेट पर इस आयोजन के बाद प्रधानमंत्री की रैली में एन.सी.सी. केडेट्स द्वारा विभिन्‍न चौंका देने वाले प्रदर्शन और ड्रिल किए जाते हैं।

लोक तरंग

सात क्षेत्रीय सांस्‍कृतिक केन्‍द्रों के साथ मिलकर संस्‍कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा हर वर्ष 24 से 29 जनवरी के बीच ‘’लोक तरंग – राष्‍ट्रीय लोक नृत्‍य समारोह’’ आयोजित किया जाता है। इस आयोजन में लोगों को देश के विभिन्‍न भागों से आए रंग बिरंगे और चमकदार और वास्‍तविक लोक नृत्‍य देखने का अनोखा अवसर मिलता है।

बीटिंग द रिट्रीट

बीटिंग द रिट्रीट गणतंत्र दिवस आयोजनों का आधिकारिक रूप से समापन घोषित करता है। सभी महत्‍वपूर्ण सरकारी भवनों को 26 जनवरी से 29 जनवरी के बीच रोशनी से सुंदरता पूर्वक सजाया जाता है। हर वर्ष 29 जनवरी की शाम को अर्थात् गणतंत्र दिवस के बाद अर्थात् गणतंत्र की तीसरे दिन बीटिंग द रिट्रीट आयोजन किया जाता है। यह आयोजन तीन सेनाओं के एक साथ मिलकर सामूहिक बैंड वादन से आरंभ होता है जो लोकप्रिय मार्चिंग धुनें बजाते हैं। ड्रमर भी एकल प्रदर्शन (जिसे ड्रमर्स कॉल कहते हैं) करते हैं। ड्रमर्स द्वारा एबाइडिड विद मी (यह महात्मा गाँधी की प्रिय धुनों में से एक कहीं जाती है) बजाई जाती है और ट्युबुलर घंटियों द्वारा चाइम्‍स बजाई जाती हैं, जो काफ़ी दूरी पर रखी होती हैं और इससे एक मनमोहक दृश्‍य बनता है। इसके बाद रिट्रीट का बिगुल वादन होता है, जब बैंड मास्‍टर राष्ट्रपति के समीप जाते हैं और बैंड वापिस ले जाने की अनुमति मांगते हैं। तब सूचित किया जाता है कि समापन समारोह पूरा हो गया है। बैंड मार्च वापस जाते समय लोकप्रिय धुन सारे जहाँ से अच्‍छा बजाते हैं। ठीक शाम 6 बजे बगलर्स रिट्रीट की धुन बजाते हैं और राष्‍ट्रीय ध्‍वज को उतार लिया जाता हैं तथा राष्‍ट्रगान गाया जाता है और इस प्रकार गणतंत्र दिवस के आयोजन का औपचारिक समापन होता हैं।[२] इन्हें भी देखें: गणतंत्र दिवस का इतिहास एवं गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि

गणतंत्र दिवस परेड (2021)

26 जनवरी, 2021 को भारत ने अपना 72वाँ गणतंत्र दिवस मनाया। इस मौके पर सुबह राजपथ पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तिरंगा फहराया। लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इस बार का गणतंत्र दिवस कई मायनों में अलग और बदला-सा रहा। कोरोना की वजह से 72वें गणतंत्र दिवस पर कोई विदेशी मेहमान बतौर मुख्य अतिथि नहीं था। दशकों बाद ऐसा पहली बार हुआ, जब 2021 के गणतंत्र दिवस पर किसी भी देश के सरकार का प्रमुख गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल नहीं हुआ।

कोरोना संकट के चलते 26 जनवरी, 2021 को होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में कई बदलाव किये गए। एक तो कोविड-19 की वजह से परेड की लंबाई कम की गई। वहीं 25 हजार लोग ही कार्यक्रम में मौजूद रह पाये। परेड की लंबाई इसके पहले 8.2 किलोमीटर होती थी, लेकिन 2021 में विजय चौक से नेशनल स्टेडियम तक ही परेड थी। इसीलिये उसकी लंबाई घटकर 3.3 किलोमीटर की गई। परेड देखने का मौका भी कम लोगों को मिला। जहां हर साल गणतंत्र दिवस परेड देखने के लिए एक लाख, 15 हजार लोग मौजूद रहते थे, वहीं इस बार मात्र 25 हजार लोग ही मौजूद रहे।

गणतंत्र दिवस परेड (2020)

भारत ने 26 जनवरी, 2020 को अपना 71वां गणतंत्र दिवस मनाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह करीब 9:30 बजे 'नेशनल वॉर मेमोरियल' पहुंचे और शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुख वहाँ मौजूद रहे। गणतंत्र दिवस-2020 पर ब्राज़ील के राष्ट्रपति जायेर बोलसोनारो मुख्य अतिथि रहे। इससे पहले 1996 और 2004 में ब्राजील के राष्ट्रपति गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बन चुके हैं।

वर्ष 2020 के समारोह में कई चीजें पहली बार हुईं। इसमें प्रधानमंत्री का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करना भी शामिल है। पीएम मोदी ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर इंडिया गेट पर स्थित 'अमर जवान ज्योति' के बजाय पहली बार यहां नवनिर्मित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी। इंडिया गेट परिसर स्थित इस स्मारक का 2019 में 25 फ़रवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया था। भारतीय वायु सेना में शामिल किए गए चिनूक और अपाचे युद्धक हेलीकॉप्टर भी आकर्षण का केन्द्र बने। डीआरडीओ की उपग्रह भेदी (ए-सैट) हथियार प्रणाली को भी यहां प्रदर्शित किया गया। समारोह में विभिन्न राज्यों और मंत्रालयों की 22 झांकियों के जरिए देशवासियों को अलग-अलग संदेश दिए गए।

गोवा ने जहां 'मेढक बचाओ' का संदेश दिया, वहीं जम्मू-कश्मीर ने 'गांव की ओर लौटो' कार्यक्रम से लोगों को अवगत कराया। वहीं पंजाब की झांकी गुरु नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व के नाम रही। इन 22 झांकियों में 16 झांकियां विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की थीं और अन्य छह मंत्रालयों, विभागों और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की थीं। जल शक्ति मंत्रालय ने भी एक झांकी निकाली, जिसमें 'जल जीवन मिशन' पहल को प्रदर्शित किया गया। इस मिशन का लक्ष्य 2024 तक हर गांव में हर घर तक पाइप लाइन के जरिए पानी पहुंचाना है। 'धनुष तोपका भी प्रदर्शन किया गया, यह प्रदर्शन कैप्टन मृगांक भारद्वाज की कमान में किया गया। 155एमएम/45 कैलीबर धनुष तोप को होवित्जर तोप की तरह डिजाइन किया गया है। भारतीय वायु सेना में शामिल किए गए चिनूक और अपाचे युद्धक हेलीकॉप्टर गणतंत्र दिवस की भव्य सैन्य परेड में आकर्षण का मुख्य केंद्र रहे।[३]

नारी शक्ति ने इस बार की परेड में जांबाजी दिखाई। सीआरपीएफ की डेयरडेविल्स टीम ने पहली बार राजपथ पर मोटरसाइकिल के जरिए 9 तरह के करतब का प्रदर्शन किया। इस टीम की कई महिलाएं जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद प्रभावित इलाके में तैनात हैं, तो कई पूर्वोत्तर के राज्यों में कानून-व्यवस्था पर नजर रख रही हैं। डेयरडेविल्स टीम में कुछ ऐसी महिलाएं भी हैं, जो नक्सल प्रभावित राज्यों मे भी तैनात हैं।

गूगल-डूडल (2021)

72वें गणतंत्र दिवस पर गूगल-डूडल

गूगल ने भारत के 72वें गणतंत्र दिवस के मौके पर खास डूडल बनाकर बधाई दी। मुंबई के कलाकार ओंकार फोंडेकर के बने फोटो को गूगल ने दिखाया है। इस फोटो में 72 साल पहले के उस दिन के सम्मान को दर्शाया गया है, जब भारतीय संविधान लागू हुआ और भारत ने आधिकारिक तौर पर एक संप्रभु गणराज्य घोषित किया। गूगल ने डूडल के इस चित्र के माध्यम से भारत की विविधता के साथ एकता को दर्शाया है। चित्र में एक पारंपरिक राजस्थानी पोशाक पहने हुए व्यक्ति को दिखाया गया है, जो फोन पर एक सेल्फी क्लिक कर रहा है। इस तरह से भारत ने विविधताओं और तकनीकी क्षेत्र में अग्रसर होने के साथ ही अपनी संस्कृति पर भी गर्व को दर्शाया है। आर्टवर्क में एक क्रिकेटर, एक फिल्म निर्देशक, एक सितार वादक, एक भरतनाट्यम नर्तक भी शामिल है। ढोलक और सितार जैसे वाद्य यंत्र देश की समृद्ध विरासत के कुछ उदाहरण हैं और इनके बीच में एक राजसी हाथी है, जिस पर एक महावत है, जो हमारी सांस्कृतिक विरासत और निरंतर आगे की ओर बढ़ाते कदम की पहचान है।

डूडल पर देश की विशिष्ट वास्तुकला शैलियों को कलाकृति देने वाले ओंकार फोंडेकर ने कहा, "मैं आज खुद को भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं और मुझे बहुत खुशी मिल रही है कि मुझे गूगल डूडल जैसे वैश्विक मंच पर भारत को चित्रित करने का अवसर मिला। एक ही समय पर एक ही तस्वीर में मैंने अपने देश के बारे में बहुत कुछ कहने की कोशिश की है और इस तस्वीर में मुझे भी वो बहुत सारी चीजें देखने को मिलीं, जिन्हें मैं विस्तृत कैनवास पर दिखा सकता हूं"।

71वें गणतंत्र दिवस पर गूगल-डूडल
डूडल (2020)

भारत वर्ष 2020 में अपना 71वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस गणतंत्र दिवस को खास बनाते हुए गूगल ने भी अपना डूडल देशभक्ति के इस जश्न को समर्पित कर दिया है। गूगल के होम पेज पर क्लिक करते ही डूडल नजर आएगा। गूगल ने अपने डूडल में भारतीय संस्कृति की झलक दिखाते हुए उसका रंग-बिरंगा डूडल बनाया है। गूगल ने अपने डूडल में इंडिया गेट से लेकर भारत की हर सांस्कृतिक चीज को दिखाने की कोशिश की है। गूगल ने अपने डूडल में ताजमहल से लेकर इंडिया गेट तक सब कुछ शामिल करने की कोशिश की है। गूगल डूडल में राष्ट्रीय पक्षी मोर, भारत के सांस्कृतिक रंग, आर्ट्स, टेक्सटाइल और नृत्य सब कुछ एक साथ दिखाया गया है। भारत के 71वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर इस डूडल को सिंगापुर में रहने वाले अतिथि कलाकार मेरू सेठ ने तैयार किया है।

70वें गणतंत्र दिवस पर गूगल-डूडल
डूडल (2019)

भारत ने वर्ष 2019 में अपना 70वां गणतंत्र दिवस बड़ी ही धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर गूगल ने रंगीन डूडल मनाया, जिसमें देश के प्रतिष्ठित स्मारकों और विरासत के प्रदर्शन के साथ पार्श्व में राष्ट्रपति भवन को दिखाया गया है। अतिथि कलाकार रेशमदेव आर. के. द्वारा निर्मित गूगल डूडल का प्रत्येक अक्षर भारत के एक पहलू को दर्शाता है। इसमें नदियां, क़ुतुब मीनार, जल निकायों और देश के कुछ हिस्सों की डिजाइन के साथ-साथ इसमें एक हाथी और राष्ट्रीय पक्षी मोर शामिल हैं। गूगल का पहला अक्षर G हरे रंग में है, जिसे गोल्फ लिंक पर दिखाया गया है। L क़ुतुब मीनार को दिखाता है। चौथे अक्षर G को हाथी की सूंड़ की आकृति का बनाया गया है, जिसके नीचे मोर बना है। दो- O और E कलाकृतियां तथा देश की धरोहरों को निरूपित करते हैं।

69वें गणतंत्र दिवस पर गूगल-डूडल
डूडल (2018)

भारत ने वर्ष 2018 में 69वां गणतंत्र दिवस बड़ी ही धूमधाम से मनाया। इस उत्‍सव में गूगल भी शामिल हुआ। गूगल ने एक खास तरह का डूडल बनाकर भारत के 69वें गणतंत्र दिवस को समर्पित किया था। कई जीवंत रंगों के जरिए गूगल ने भारत की सांस्‍कृतिक विरासत को दर्शाया। गूगल के इस डूडल में हाथी, ऊंट जैसे पशुओं के अलावा महिला और पुरुष भी दिखाई दे रहे हैं, जो बांसुरी, ढफली, दुंदुभी और सिंगा जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों को बजा रहे हैं। साथ ही इस पर परंपरागत कठपुतलियां और कताई पहिया भी नजर आ रहा है जो भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। इसमें असम के बिहू नृत्य को भी दर्शाया गया है।

68वें गणतंत्र दिवस पर गूगल-डूडल
डूडल (2017)

भारत ने वर्ष 2017 में अपना 68वाँ गणतंत्र दिवस बड़ी ही धूमधाम से मनाया। 'गूगल' जो कि एक अमेरीकी बहुराष्ट्रीय सार्वजनिक कम्पनी है और इंटरनेट की दुनिया में बहुत प्रसिद्ध है, उसने भी एक ख़ास तरीके से गणतंत्र दिवस मनाया। गूगल ने गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के अवसर पर एक विशेष तरह का गूगल प्रतीक चिन्ह बनाया, जो गणतंत्र दिवस तथा स्वाधीनता दिवस को समर्पित था।[४]

महापुरुष कथन

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, स्‍वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति ने भारतीय गणतंत्र के जन्‍म के अवसर पर देश के नागरिकों का अपने विशेष संदेश में कहा:-

"हमें स्‍वयं को आज के दिन एक शांतिपूर्ण किंतु एक ऐसे सपने को साकार करने के प्रति पुन: समर्पित करना चाहिए, जिसने हमारे राष्ट्रपिता और स्‍वतंत्रता संग्राम के अनेक नेताओं और सैनिकों को अपने देश में एक वर्गहीन, सहकारी, मुक्‍त और प्रसन्‍नचित्त समाज की स्‍थापना के सपने को साकार करने की प्रेरणा दी। हमें इस दिन यह याद रखना चाहिए कि आज का दिन आनन्‍द मनाने की तुलना में समर्पण का दिन है– श्रमिकों और कामगारों परिश्रमियों और विचारकों को पूरी तरह से स्‍वतंत्र, प्रसन्‍न और सांस्‍कृतिक बनाने के भव्‍य कार्य के प्रति समर्पण करने का दिन है।"

सी. राजगोपालाचारी, महामहिम, महाराज्‍यपाल ने 26 जनवरी, 1950 को ऑल इंडिया रेडियो के दिल्‍ली स्‍टेशन से प्रसारित एक वार्ता में कहा:-

"अपने कार्यालय में जाने की संध्‍या पर गणतंत्र के उद्घाटन के साथ मैं भारत के पुरुषों और महिलाओं को अपनी शुभकामनाएं और बधाई देता हूँ जो अब से एक गणतंत्र के नागरिक है। मैं समाज के सभी वर्गों से मुझ पर बरसाए गए इस स्‍नेह के लिए हार्दिक धन्‍यवाद देता हूँ, जिससे मुझे कार्यालय में अपने कर्त्तव्‍यों और परम्‍पराओं का निर्वाह करने की क्षमता मिली है, अन्‍यथा मैं इससे सर्वथा अपरिचित था।"


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारत के गणतंत्र की यात्रा (हिन्दी) (पी.एच.पी) आधिकारिक वेबासाइट भारत। अभिगमन तिथि: 29 दिसंबर, 2010।
  2. गणतंत्र दिवस के आयोजन (हिन्दी) (पी.एच.पी) आधिकारिक वेबासाइट भारत। अभिगमन तिथि: 23 दिसंबर, 2010।
  3. राजपथ पर दुनिया ने देखी भारत की ताकत (हिंदी) livehindustan.com। अभिगमन तिथि: 26 जनवरी, 2020।
  4. गूगल ने मनाया भारत का 68वाँ गणतंत्र दिवस (हिंदी) aajabhi.com। अभिगमन तिथि: 26 अप्रॅल, 2017।

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