विश्व ओज़ोन दिवस
विश्व ओज़ोन दिवस
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विवरण | 'विश्व ओज़ोन दिवस' या 'ओज़ोन परत संरक्षण दिवस' 16 सितम्बर को पूरे विश्व में मनाया जाता है। |
उद्देश्य | लोगों को ओज़ोन परत के संरक्षण हेतु जागरुक करना |
इतिहास | 23 जनवरी, 1995 को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में पूरे विश्व में इसके प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए 16 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय ओज़ोन दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया। |
संबंधित लेख | विश्व पर्यावरण दिवस, विश्व जल दिवस |
अन्य जानकारी | ओज़ोन परत को बचाने की कवायद का ही परिणाम है कि आज बाज़ार में ओज़ोन फ्रेंडली फ्रिज, कूलर आदि आ गए हैं। इस परत को बचाने के लिए ज़रूरी है कि फोम के गद्दों का इस्तेमाल न किया जाए। प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम हो। |
विश्व ओज़ोन दिवस (अंग्रेज़ी: World Ozone Day) या 'ओज़ोन परत संरक्षण दिवस' 16 सितम्बर को पूरे विश्व में मनाया जाता है। धरती पर जीवन को पनपने के लिए काफ़ी संघर्ष करना पड़ा है। इतिहास और भूगोल के अध्ययन से यह साफ़ है कि धरती पर जीवन की उत्पत्ति के लिए काफ़ी लंबा समय तय करना पड़ा है। लेकिन जो चीज़ इंसान को कड़ी मेहनत और प्रकृति से फल स्वरूप मिली है उसे आज खुद इंसान ही मिटाने पर लगा हुआ है। लगातार प्रकृति के कार्यों में हस्तक्षेप कर इंसान ने खुद को प्रकृति के सामने ला खड़ा किया है जहां प्रकृति उसका विनाश कर सकती है। जंगलों, वनों की कटाई कर असंतुलन पैदा किया जा रहा है। गाड़ियों ने हवा को प्रदूषित कर कर दिया है तो वहीं उस जल को भी इंसान ने नहीं बख्शा जिसकी वजह से धरती पर जीवन संचालित होता है। प्रौद्योगिकी के इस युग में इंसान हर उस चीज़ का हरण कर रहा है जो उसकी प्रगति की राह में रोड़ा बन रही है। इसी तरह इंसान ने अपने आराम और सहूलियत के लिए उस ओज़ोन परत को भी नष्ट करने की ठान ली है जो उसे सूर्य से निकलने वाली खतरनाक पराबैगनी किरणों से बचाती है। दिनों-दिन बढ़ रही औद्योगिक गतिविधियों के कारण आज हमारे जीवन को बचाने वाली ओज़ोन परत को खतरा पैदा हो गया है।
विषय सूची
ओज़ोन एवं ओज़ोन परत
ओज़ोन एक हल्के नीले रंग की गैस होती है जो आक्सीजन के तीन परमाणुओं (O3) का यौगिक है। ओज़ोन परत सामान्यत: धरातल से 10 किलोमीटर से 50 किलोमीटर की ऊंचाई के बीच पाई जाती है। यह गैस सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों के लिए एक अच्छे फिल्टर का काम करती है। सूर्य से निकलने वाली खतरनाक किरणों से ओज़ोन परत हमें बचाती है, मगर जहरीली गैसों से ओज़ोन परत में एक छेद हो गया है और अब इस छेद को भरने के प्रयास हो रहे हैं। यह जहरीली गैसें हम इंसानों द्वारा एसी और कूलर जैसे उत्पादों में इस्तेमाल होती हैं। अपना जीवन अधिक से अधिक आरामदायक बनाने के लिए हम दिन-प्रतिदिन प्रकृति के साथ जो छेड़छाड़ कर रहे हैं यही उसका नतीजा है। पिछले दो दशकों से समताप मंडल में ओज़ोन की मात्रा कम हो रही है। इसका मुख्य कारण रेफ्रिजरेटर व वातानुकूलित उपकरणों में इस्तेमाल होने वाली गैस, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन और हैलोन हैं। यह गैसें ऐरोसोल में तथा फोम की वस्तुओं को फुलाने और आधुनिक अग्निशमन उपकरणों में प्रयोग की जाती हैं। यही नहीं, सुपर सोनिक जेट विमानों से निकलने वाली नाइट्रोजन आक्साइड भी ओज़ोन की मात्रा को कम करने में मदद करती है। ओज़ोन की परत विशेष तौर से ध्रुवीय वातावरण में बहुत कम हो गई है। ओज़ोन परत का एक छिद्र अंटार्कटिका के ऊपर स्थित है। इन्हें भी देखें: ओज़ोन एवं ओज़ोन परत