हरगोबिन्द खुराना
हरगोबिन्द खुराना
| |
पूरा नाम | हरगोबिन्द खुराना |
जन्म | 9 जनवरी, 1922 |
जन्म भूमि | रायपुर, ब्रिटिशकालीन भारत |
मृत्यु | 9 नवंबर, 2011 |
मृत्यु स्थान | मैसेच्यूसेट्स, अमेरिका |
कर्म-क्षेत्र | जैव रसायनशास्त्री |
शिक्षा | स्नातक (ऑनर्स) |
विद्यालय | लाहौर में पंजाब विश्वविद्यालय, सरकारी छात्रवृत्ति पर लिवरपूल यूनिवर्सिटी, इंग्लैंड |
पुरस्कार-उपाधि | नोबेल पुरस्कार, पद्म विभूषण |
विशेष योगदान | 1960 के दशक में खुराना ने नीरबर्ग की इस खोज की पुष्टि की कि डी.एन.ए. अणु के घुमावदार 'सोपान' पर चार विभिन्न प्रकार के न्यूक्लिओटाइड्स के विन्यास का तरीका नई कोशिका की रासायनिक संरचना और कार्य को निर्धारित करता है। |
नागरिकता | भारत, अमेरिका |
अद्यतन | 16:53, 9 जनवरी 2012 (IST)
|
हरगोबिन्द खुराना (अंग्रेज़ी: Hargobind Khorana, जन्म: 9 जनवरी, 1922; मृत्यु: 9 नवंबर, 2011) भारत में जन्मे अमेरिकी जैव रसायनशास्त्री थे। इन्हें 1968 में शरीर विज्ञान या चिकित्सा के क्षेत्र में मार्शल डब्ल्यू. नीरेनबर्ग और रॉबर्ट डब्ल्यू. हॉली के साथ उस अनुसंधान के लिए नोबेल पुरस्कार मिला। इस अनुसंधान से पता लगाने में मदद मिली कि कोशिका के आनुवंशिक कूट (कोड) को ले जाने वाले न्यूक्लिक अम्ल (एसिड) न्यूक्लिओटाइड्स कैसे कोशिका के प्रोटीन संश्लेषण (सिंथेसिस) को नियंत्रित करते हैं।
विषय सूची
जन्म और शिक्षा
खुराना का जन्म 9 जनवरी 1922 रायपुर, ब्रिटिशकालीन भारत में हुआ था। इनका जन्म एक ग़रीब परिवार में हुआ था। इन्होंने लाहौर में पंजाब विश्वविद्यालय और सरकारी छात्रवृत्ति पर लिवरपूल यूनिवर्सिटी, इंग्लैंड में शिक्षा ग्रहण की।
अनुसंधान
इन्होंने सर अलेक्ज़ेंडर टॉड के तहत केंब्रिज यूनिवर्सिटी (1951) में शिक्षावृत्ति के दौरान न्यूक्लिक एसिड पर अनुसंधान शुरू किया। वह स्विट्ज़रलैंड में स्विस फ़ेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी और ब्रिटिश कोलंबिया, कनाडा (1952-1959) एवं विंस्कौंसिल, अमेरिका में फ़ेलो और प्राध्यापक पदों पर रहें। 1971 में उन्होंने मैसेच्यूसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के संकाय में कार्यभार संभाला।