आर्यभट द्वितीय
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आर्यभट्ट द्वितीय गणित और ज्योतिष दोनों विषयों के आचार्य थे।
- ग्रंथ
इनका बनाया हुआ 'महासिद्धांत ग्रंथ' ज्योतिष सिद्धांत का अच्छा ग्रंथ है। आर्यभट द्वितीय ने भी अपना समय कहीं नहीं लिखा है।
- समय
डाक्टर सिंह और दत्त का मत है [1] कि ये 950 ई. के लगभग थे, जो शक काल 872 होता है। दीक्षित लगभग 875 शक कहते हैं। आर्यभट द्वितीय ब्रह्मगुप्त के बाद हुए है, क्योंकि ब्रह्मगुप्त ने आर्यभट्ट की जिन बातों का खंडन किया है वे 'आर्यभटीय' से मिलती हैं, 'महासिद्धांत' से नहीं। महासिद्धांत से तो प्रकट होता है कि ब्रह्मगुप्त ने आर्यभट्ट की जिन-जिन बातों का खंडन किया है वे इसमें सुधार दी गई हैं। 'कुट्टक की विधि' में भी आर्यभट्ट प्रथम, भास्कर प्रथम तथा बह्मगुप्त की विधियों से कुछ उन्नति दिखाई पड़ती है। इसलिए इसमें संदेह नहीं कि आर्यभट द्वितीय ब्रह्मगुप्त के बाद हुए हैं।