सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर
सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर
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पूरा नाम | डॉ. सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर |
जन्म | 19 अक्तूबर, 1910 |
जन्म भूमि | लाहौर, पाकिस्तान |
मृत्यु | 21 अगस्त, 1995 |
मृत्यु स्थान | शिकागो, संयुक्त राज्य अमेरीका |
अभिभावक | सुब्रह्मण्यम आयर, सीतालक्ष्मी |
पति/पत्नी | ललिता चन्द्रशेखर |
कर्म-क्षेत्र | खगोलशास्त्र |
विषय | खगोल भौतिक शास्त्री |
खोज | चंद्रशेखर सीमा |
विद्यालय | मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज, शिकागो विश्वविद्यालय, अमेरिका |
पुरस्कार-उपाधि | नोबेल पुरस्कार, कॉप्ले पदक, नेशनल मेडल ऑफ साइंस, पद्म विभूषण |
नागरिकता | भारत, अमेरिका |
अद्यतन | 13:07, 7 फ़रवरी 2012 (IST)
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सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर (जन्म- 19 अक्तूबर, 1910 - मृत्यु- 21 अगस्त, 1995) खगोल भौतिक शास्त्री थे और सन् 1983 में भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता भी थे। उनकी शिक्षा चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज में हुई। वह नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी. वी. रमन के भतीजे थे। बाद में डॉ. चंद्रशेखर अमेरिका चले गए। जहाँ उन्होंने खगोल भौतिक शास्त्र तथा सौरमंडल से संबंधित विषयों पर अनेक पुस्तकें लिखीं।
- सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर ने 'व्हाइट ड्वार्फ', यानी 'श्वेत बौने' नाम के नक्षत्रों के बारे में सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
- इन नक्षत्रों के लिए उन्होंने जो सीमा निर्धारित की है, उसे 'चंद्रशेखर सीमा' कहा जाता है।
- उनके सिद्धांत से ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में अनेक रहस्यों का पता चला।
20वीं शताब्दी के महानतम वैज्ञानिकों में से एक वैज्ञानिक सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर अपने जीवन काल में ही एक किंवदंती बन गए थे। 'कामेश्वर सी. वाली' चन्द्रशेखर के जीवन के बारे में लिखते हैं कि 'विज्ञान की खोज में असाधारण समर्पण और विज्ञान के नियमों को अमली रूप देने और जीवन में निकटतम संभावित सीमा तक उसके मानों को आत्मसात करने में वह सब से अलग दिखाई देते हैं।' उसके बहुसर्जक योगदानों का विस्तार खगोल - भौतिक, भौतिक - विज्ञान और व्याहारिक गणित तक था। उनका जीवन उन्नति का सर्वोत्तम उदाहरण है जिसे कोई भी व्यक्ति प्राप्त कर सकता है बशर्ते कि उसमें संकल्प, शक्ति, योग्यता और धैर्य हो। उसकी यात्रा आसान नहीं थी। उन्हें सब प्रकार की कठिनाईयों से जूझना पड़ा। वह एक ऐसा व्यक्तित्व था जिसमें भारत, जहां उनका जन्म हुआ, इंग्लैंड और यू.एस.ए. की तीन अत्यधिक भिन्न संस्कृतियों की जटिलताओं द्वारा आकार मिला।
वह मानवों की साझी परम्परा में विश्वास रखते थे। उन्होंने कहा था, 'तथ्य यह है कि मानव मन एक ही तरीके से काम करता है। इससे हम पुन: आश्वस्त होते है कि जिन चीज़ों से हमें आनन्द मिलता है, वे विश्व के हर भाग में लोगों को आनन्द प्रदान करती है। हम सबका साझा हित है और इस तथ्य से इस बात को बल मिलता है कि हमारी एक साझी परम्परा है।' वह एक महान् वैज्ञानिक, एक कुशल अध्यापक और दुर्जेय विद्वान थे।
जीवन परिचय
सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर का जन्म लाहौर में 19 अक्तूबर, 1910 को हुआ। उसके पिता सुब्रह्मण्यम आयर सरकारी सेवा मे थे। सर सी. वी. रमन, विज्ञान में पहले भारतीय नोबेल पुरस्कार विजेता चन्द्रशेखर के पिता के छोटे भाई थे। चन्द्रशेखर का बाल्यजीवन चेन्नई में बीता। ग्यारह वर्ष की आयु में 'मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज' में उसने दाखिला लिया जहां पहले दो वर्ष उसने भौतिकी, कैमिस्ट्री, अंग्रेज़ी और संस्कृत का अध्ययन किया। चन्द्रशेखर ने 31 जुलाई 1930 को उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड का प्रस्थान किया और इस प्रकार एक लम्बा और शानदार वैज्ञानिक कैरियर आंरभ किया जो 65 वर्षों तक विस्तृत था। पहले छ: वर्षों को छोड़, उसने 'शिकागो विश्वविद्यालय' मे काम किया।