नानाजी देशमुख
नानाजी देशमुख
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पूरा नाम | चंडिकादास अमृतराव देशमुख |
जन्म | 11 अक्टूबर, 1916 ई. |
जन्म भूमि | महाराष्ट्र |
मृत्यु | 27 फ़रवरी, 2010 |
मृत्यु स्थान | चित्रकूट, उत्तर प्रदेश |
अभिभावक | अमृतराव देशमुख, राजाबाई |
नागरिकता | भारतीय |
पद | राष्ट्रधर्म प्रकाशन के प्रबन्धक |
पुरस्कार-उपाधि | पद्मविभूषण, भारत रत्न |
विशेष योगदान | भारतीय जनसंघ के संस्थापक |
सामाजिक संगठनों की स्थापना | नानाजी 'दीनदयाल शोध संस्थान', 'ग्रामोदय विश्वविद्यालय' और 'बाल जगत' जैसे सामाजिक संगठनों की स्थापना की। |
अन्य जानकारी | नानाजी देशमुख शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण लोगों के बीच स्वावलंबन के लिए किए गए कार्यों के लिए सदैव याद किए जाते हैं। |
अद्यतन | 14:48, 15 मार्च 2012 (IST)
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चंडिकादास अमृतराव देशमुख (अंग्रेज़ी: Chandikadas Amritrao Deshmukh, जन्म- 11 अक्टूबर, 1916 ई., महाराष्ट्र; मृत्यु- 27 फ़रवरी, 2010, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश) 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' के मज़बूत स्तंभ और प्रख्यात समाजसेवक थे। देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मविभूषण से नवाजे गए नानाजी देशमुख शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण लोगों के बीच स्वावलंबन के लिए किए गए कार्यों के लिए सदैव याद किए जाते हैं। भारतीय जनसंघ के संस्थापक रहे नानाजी ने 60 साल की आयु के बाद राजनीति से सन्न्यास ले लिया था। अपना शेष जीवन उन्होंने चित्रकूट के गाँवों का कल्याण करने में बिताया और उनके विकास की एक नई गाथा लिखी। नानाजी देशमुख को मरणोपरांत देश का सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न दिया गया।
विषय सूची
परिचय
नानाजी देशमुख का जन्म महाराष्ट्र राज्य के परभनी ज़िले में एक छोटे से गाँव 'कदोली' में 11 अक्टूबर, 1916 ई. को हुआ था। इनके पिता का नाम श्री अमृतराव देशमुख तथा माता का नाम श्रीमती राजाबाई अमृतराव देशमुख था। नानाजी का जीवन सदैव अनेकों घटनाओं से परिपूर्ण रहा। उनका अधिकतर समय संघर्षों में ही व्यतीत हुआ था। अपनी अल्प आयु में ही उन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया। ये उनके मामा जी ही थे, जिन्होंने उन्हें पाला-पोसा और बड़ा किया।
शिक्षा
नानाजी का बचपन काफ़ी हद तक अभावों में बीता था। अपनी स्कूल की शिक्षा के दौरान भी उनके पास किताबें आदि ख़रीदने के लिए पैसे नहीं होते थे, लेकिन उनके अन्दर ज्ञान तथा शिक्षा प्राप्त करने की अटूट अभिलाषा विद्यमान थी, जिसे वे हर हाल में पाना चाहते थे। वे मन्दिरों में भी रहे और अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए सब्ज़ी बेचकर पैसे कमाए। 'बिरला इंस्टीट्यूट', पिलानी से नानाजी ने उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। बाद के दिनों में तीस के दशक में वे 'आर.एस.एस.' में शामिल हो गए।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 आधुनिक चाणक्य:नानाजी देशमुख (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 04 मार्च, 2012।
- ↑ नानाजी देशमुख (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल.)। । अभिगमन तिथि: 04 मार्च, 2012।
- ↑ सिसोदिया, तरुन। सर्वस्व दानी नानाजी देशमुख का महाप्रयाण (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल.)। । अभिगमन तिथि: 04 मार्च, 2012।