आर. के. नारायण
आर. के. नारायण
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पूरा नाम | रासीपुरम कृष्णास्वामी नारायणस्वामी |
जन्म | 10 अक्टूबर, 1906 |
जन्म भूमि | मद्रास (वर्तमान चेन्नई) |
मृत्यु | 13 मई, 2001 |
मृत्यु स्थान | चेन्नई, तमिलनाडु |
कर्म भूमि | शिक्षक, लेखक |
मुख्य रचनाएँ | स्वामी एण्ड फ़्रेंड्स, द इंग्लिश टीचर (1945), वेटिंग फ़ॉर द महात्मा (1955), द गाइड (1958), द मैन ईटर आफ़ मालगुडी (1961), द वेंडर ऑफ़ स्वीट्स (1967), और अ टाइगर फ़ॉर मालगुडी, लॉली रोड (1956), अ हॉर्स एण्ड गोट्स एण्ड अदर स्टोरीज़ (1970) तथा अन्डर द बैनियन ट्री एण्ड अद स्टोरीज़ (1985)। |
विषय | उपन्यास, कहानियाँ |
भाषा | अंग्रेज़ी |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म भूषण, पद्म विभूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार, ए. सी. बेसन पुरस्कार |
नागरिकता | भारतीय |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
रासीपुरम कृष्णास्वामी नारायणस्वामी (अंग्रेज़ी: Rasipuram Krishnaswami Iyer Narayanaswami, जन्म- 10 अक्टूबर, 1906, मद्रास; मृत्यु- 13 मई, 2001, चेन्नई, तमिलनाडु) प्रसिद्ध अंग्रेज़ी साहित्यकार थे। वह अंग्रेज़ी साहित्य के भारतीय लेखकों में तीन सबसे महान् उपन्यासकारों में से एक गिने जाते हैं। मुल्कराज आनंद तथा राजा राव के साथ उनका नाम भारतीय अंग्रेज़ी लेखन के आरंभिक समय में 'बृहत्त्रयी' के रूप में प्रसिद्ध है। उपन्यास तथा कहानी की विधा को अपनाते हुए आर. के. नारायण ने विभिन्न स्तरों तथा रूपों में मानवीय उत्थान-पतन की गाथा को अभिव्यक्त करते हुए अपने गंभीर यथार्थवाद के माध्यम से रचनात्मक कीर्तिमान स्थापित किया है। उनका पहला उपन्यास 'स्वामी और उसके दोस्त' 1935 में प्रकाशित हुआ था। इस उपन्यास में एक स्कूली लड़के स्वामीनाथन का बेहद मनोरंजक वर्णन है तथा उपन्यास के शीर्षक का स्वामी उसी के नाम का संक्षिप्तीकरण है।
जीवन परिचय
अपनी दादी द्वारा पालित-पोषित नारायण ने 1930 में अपनी शिक्षा पूरी की और पूर्णत: लेखन में जुट जाने का निर्णय लेने से पहले कुछ समय तक शिक्षक के रूप में काम किया। उनके पहले उपन्यास स्वामी एण्ड फ़्रेंड्स (1935) में स्कूली लड़कों के एक दल के रोमांचक कारनामों का विभिन्न प्रकरणों में वर्णन है। इस पुस्तक और नारायण की इसके बाद की सभी कृतियों के पृष्ठभूमि दक्षिण भारत का काल्पनिक शहर मालगुडी है। नारायण आमतौर पर मानवीय सम्बन्धों की विशेषताओं तथा भारतीय दैनिक जीवन की विडंबनाओं का चित्रण करते हैं, जिसमें आधुनिक शहरी जीवन, पुरानी परम्पराओं के साथ टकराता रहता है। उनकी शैली शालीन है, जिससे सुसंस्कृत हास्य, लालित्य और सहजता का मिश्रण है।