विद्यानिवास मिश्र
विद्यानिवास मिश्र
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पूरा नाम | विद्यानिवास मिश्र |
जन्म | 28 जनवरी, 1926 |
जन्म भूमि | गोरखपुर, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 14 फ़रवरी, 2005 |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | निबन्ध लेखन। |
मुख्य रचनाएँ | ‘छितवन की छाँह' (1976), ‘तुम चन्दन हम पानी', ‘आंगन का पंछी और बनजार मन', ‘कदम की फूली डाल' आदि। |
भाषा | हिन्दी |
विद्यालय | 'इलाहाबाद विश्वविद्यालय' |
पुरस्कार-उपाधि | 'भारतीय ज्ञानपीठ' का 'मूर्ति देवी पुरस्कार', 'शंकर सम्मान', 'पद्म श्री' और 'पद्म भूषण'। |
प्रसिद्धि | ललित निबन्ध लेखक। |
विशेष योगदान | विद्यानिवास हिन्दी की प्रतिष्ठा हेतु सदैव संघर्षरत रहे, मॉरीशस से सूरीनाम तक अनेकों हिन्दी सम्मेलनों में मिश्र जी की उपस्थिति ने हिन्दी के संघर्ष को मजबूती प्रदान की। |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | विद्यानिवास मिश्र ने कुछ वर्ष 'नवभारत टाइम्स' के संपादक का दायित्व भी संभाला। उन्होंने 'नवभारत टाइम्स' को हिन्दी के प्रतिष्ठित समाचार पत्र के रूप में नई पहचान दिलाई। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
विद्यानिवास मिश्र (अंग्रेज़ी: Vidhyaniwas Mishra; जन्म- 28 जनवरी, 1926, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 14 फ़रवरी, 2005) हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार, सफल सम्पादक, संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान और जाने-माने भाषाविद थे। हिन्दी साहित्य को अपने ललित निबंधों और लोक जीवन की सुगंध से सुवासित करने वाले विद्यानिवास मिश्र ऐसे साहित्यकार थे, जिन्होंने आधुनिक विचारों को पारंपरिक सोच में खपाया था। साहित्य समीक्षकों के अनुसार संस्कृत मर्मज्ञ मिश्र जी ने हिन्दी में सदैव आँचलिक बोलियों के शब्दों को महत्त्व दिया। विद्यानिवास मिश्र के अनुसार- "हिन्दी में यदि आँचलिक बोलियों के शब्दों को प्रोत्साहन दिया जाये तो दुरूह राजभाषा से बचा जा सकता है, जो बेहद संस्कृतनिष्ठ है।" मिश्र जी के अभूतपूर्व योगदान के लिए ही भारत सरकार ने उन्हें 'पद्मश्री' और 'पद्मभूषण' से भी सम्मानित किया था।
जन्म तथा शिक्षा
हिन्दी की ललित निबन्धों की परम्परा को उन्नति के शिखर पर पहुँचाने वाले कुशल शिल्पी पंडित विद्यानिवास मिश्र का जन्म 28 जनवरी, सन 1926 में पकडडीहा गाँव, गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। वे अपनी बोली और संस्कृति के प्रति सदैव आग्रही रहे। सन 1945 में 'इलाहाबाद विश्वविद्यालय' से स्नातकोत्तर एवं डाक्टरेट की उपाधि लेने के बाद विद्यानिवास मिश्र ने अनेक वर्षों तक आगरा, गोरखपुर, कैलिफोर्निया और वाशिंगटन विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया। वे देश के प्रतिष्ठित 'संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय' एवं 'काशी विद्यापीठ' के कुलपति भी रहे। इसके बाद अनेकों वर्षों तक वे आकाशवाणी और उत्तर प्रदेश के सूचना विभाग में कार्यरत रहे।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ विद्यानिवास मिश्र के ललित निबन्धों का सृजन परिदृश्य (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 03 अक्टूबर, 2013।
- ↑ 2.0 2.1 2.2 साहित्यिक पत्रकारिता के 'अमृत' विद्यानिवास मिश्र (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 03 अक्टूबर, 2013।
- ↑ ललित निबन्ध के पुरोधा विद्यानिवास मिश्र (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 03 अक्टूबर, 2013।