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*पंचानन माहेश्वरी (जन्म-1904 [[जयपुर ]] - मृत्यु- 18 मई, 1966 [[दिल्ली]]) सुप्रसिद्ध वनस्पति विज्ञानी थे। पंचानन माहेश्वरी ने [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] में शिक्षा प्राप्त की और [[आगरा कॉलेज]] से अध्यापन कार्य आरंभ किया। इलाहाबाद लखनऊ और ढाका विश्वविद्यालयों में भी पंचानन माहेश्वरी रहे और 1948 में [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] में [[वनस्पति विज्ञान]] के अध्यक्ष होकर आ गए तथा जीवनपर्यंत वहीं रहे।
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{{सूचना बक्सा वैज्ञानिक
* माहेश्वरी की अपने क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति थी। इन्होंने पादप भ्रूणविज्ञान पर विशेष कार्य किया। भ्रूणविज्ञान और पादप क्रियाविज्ञान के सम्मिश्रण से इन्होंने एक नई शाखा का विकास किया। इससे फूलों के विभिन्न भागों की कृत्रिम पोषण द्वारा वृद्धि कराने में पर्याप्त सफलता मिली। आपके अधीन शोध कार्य करने के लिए भारतीय नहीं, [[अमेरिका]], [[ऑस्ट्रेलिया]], अर्जन्टीना आदि देशों के छात्र भी आते थे। आपके पथ-प्रदर्शन में लगभग 60 छात्रों ने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
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* पंचानन माहेश्वरी ने अपने विषय के अनेक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में [[भारत]] का प्रतिनिधित्व किया। आपको अनेक देशी और विदेशी सम्मान भी प्राप्त हुए। टिशू कल्चर प्रयोगशाला की स्थापना तथा टेस्ट ट्यूब कल्चर पर शोध के लिए लंदन की रॉयल सोसाइटी ने इन्हें अपना फैलो बनाकर सम्मानित किया।  
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*[[18 मई]], 1966 ई. को [[दिल्ली]] में पंचानन माहेश्वरी का निधन हो गया।
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==जीवन परिचय==
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* पंचानन माहेश्वरी ने [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] में शिक्षा प्राप्त की और आगरा कॉलेज से अध्यापन कार्य आरंभ किया।  
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* इलाहाबाद लखनऊ और ढाका विश्वविद्यालयों में भी पंचानन माहेश्वरी रहे और [[1948]] में [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] में वनस्पति विज्ञान के अध्यक्ष होकर आ गए तथा जीवनपर्यंत वहीं रहे।
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* माहेश्वरी की अपने क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति थी। इन्होंने पादप भ्रूणविज्ञान पर विशेष कार्य किया। भ्रूणविज्ञान और पादप क्रियाविज्ञान के सम्मिश्रण से इन्होंने एक नई शाखा का विकास किया। इससे फूलों के विभिन्न भागों की कृत्रिम पोषण द्वारा वृद्धि कराने में पर्याप्त सफलता मिली।
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* आपके अधीन शोध कार्य करने के लिए भारतीय नहीं, [[अमेरिका]], [[ऑस्ट्रेलिया]], अर्जन्टीना आदि देशों के छात्र भी आते थे। आपके पथ-प्रदर्शन में लगभग 60 छात्रों ने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
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* पंचानन माहेश्वरी ने अपने विषय के अनेक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में [[भारत]] का प्रतिनिधित्व किया। आपको अनेक देशी और विदेशी सम्मान भी प्राप्त हुए।  
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०९:१३, २३ अप्रैल २०१३ का अवतरण

पंचानन माहेश्वरी
पूरा नाम पंचानन माहेश्वरी
जन्म 9 नवम्बर, 1904
जन्म भूमि जयपुर
मृत्यु 18 मई, 1966
मृत्यु स्थान दिल्ली
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र वनस्पति विज्ञानी
विद्यालय इलाहाबाद विश्वविद्यालय
विशेष योगदान भ्रूणविज्ञान और पादप क्रियाविज्ञान के सम्मिश्रण से इन्होंने एक नई शाखा का विकास किया।
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी टिशू कल्चर प्रयोगशाला की स्थापना तथा टेस्ट ट्यूब कल्चर पर शोध के लिए लंदन की रॉयल सोसाइटी ने इन्हें अपना फैलो बनाकर सम्मानित किया।

पंचानन माहेश्वरी (जन्म: 9 नवम्बर, 1904 जयपुर - मृत्यु: 18 मई, 1966 दिल्ली) सुप्रसिद्ध वनस्पति विज्ञानी थे।

जीवन परिचय

  • पंचानन माहेश्वरी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की और आगरा कॉलेज से अध्यापन कार्य आरंभ किया।
  • इलाहाबाद लखनऊ और ढाका विश्वविद्यालयों में भी पंचानन माहेश्वरी रहे और 1948 में दिल्ली विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान के अध्यक्ष होकर आ गए तथा जीवनपर्यंत वहीं रहे।
  • माहेश्वरी की अपने क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति थी। इन्होंने पादप भ्रूणविज्ञान पर विशेष कार्य किया। भ्रूणविज्ञान और पादप क्रियाविज्ञान के सम्मिश्रण से इन्होंने एक नई शाखा का विकास किया। इससे फूलों के विभिन्न भागों की कृत्रिम पोषण द्वारा वृद्धि कराने में पर्याप्त सफलता मिली।
  • आपके अधीन शोध कार्य करने के लिए भारतीय नहीं, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अर्जन्टीना आदि देशों के छात्र भी आते थे। आपके पथ-प्रदर्शन में लगभग 60 छात्रों ने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
  • पंचानन माहेश्वरी ने अपने विषय के अनेक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। आपको अनेक देशी और विदेशी सम्मान भी प्राप्त हुए।
  • टिशू कल्चर प्रयोगशाला की स्थापना तथा टेस्ट ट्यूब कल्चर पर शोध के लिए लंदन की रॉयल सोसाइटी ने इन्हें अपना फैलो बनाकर सम्मानित किया।
  • 18 मई, 1966 ई. को दिल्ली में पंचानन माहेश्वरी का निधन हो गया।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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