नाना पाटेकर  

नाना पाटेकर
पूरा नाम विश्वनाथ नाना पाटेकर
प्रसिद्ध नाम नाना पाटेकर
अन्य नाम नाना
जन्म 1 जनवरी, 1951
जन्म भूमि मुरुड-जंजिरा, महाराष्ट्र
अभिभावक दिनकर पाटेकर और संजनाबाई पाटेकर
पति/पत्नी नीलकंठी पाटेकर
संतान मल्हार पाटेकर
कर्म भूमि मुम्बई
कर्म-क्षेत्र सिनेमा जगत
मुख्य फ़िल्में 'परिंदा', 'अंगार', 'क्रान्तिवीर', 'तिरंगा', 'अभय', 'अग्नि साक्षी', 'खामोशी', 'वजूद', 'ब्लफ़मास्टर', 'टैक्सी न. 9 2 11', 'राजनीति', 'वेलकम', 'अब तक छप्पन', 'द अटैक्स ऑफ़ 26/11' आदि
शिक्षा स्नातक
पुरस्कार-उपाधि पद्म श्री (2013)
विशेष योगदान नाना पाटेकर ने अपने साथी मकरंद अनासपुरे के साथ मिलकर “नाम फाउंडेशन” की स्थापना की, जो किसानों की मदद करती है।
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता और सर्वश्रेष्ठ खलनायक की श्रेणी में फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड जीतने वाले वे एकमात्र अभिनेता हैं।
अद्यतन‎

विश्वनाथ नाना पाटेकर (अंग्रेज़ी: Vishwanath Nana Patekar, जन्म: 1 जनवरी, 1951, मुरुड-जंजिरा, महाराष्ट्र) भारतीय फ़िल्‍म अभिनेता के साथ-साथ वह लेखक और फ़िल्‍म निर्माता भी हैं। नाना हिन्‍दी फ़िल्‍मों के मशहूर अभिनेता माने जाते हैं। उनके अभिनय के सभी कायल हैं और यही कारण है कि उन्‍हें आज तक कई बार राष्‍ट्रीय फ़िल्‍म पुरस्‍कार और फ़िल्‍मफेयर पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया जा चुका है उन्‍हें पद्म श्री सम्‍मान भी मिल चुका है। वे इंडस्‍ट्री में अपने डॉयलाग को बोलने की स्‍टाइल को लेकर काफी मशहूर हैं।[१]

परिचय

नाना पाटेकर का जन्म 1 जनवरी, 1951 को मराठी परिवार में हुआ था। उनका असली नाम विश्वनाथ पाटेकर है। इनके पिता दिनकर पाटेकर कपड़े के व्यापारी और माँ संजनाबाई पाटेकर एक गृहणी थी। नाना पाटेकर ने अपनी स्नातक की पढाई मुंबई में की। नाना पाटेकर ने नीलकंठी पाटेकर से विवाह किया, लेकिन वैवाहिक जीवन में समस्याओं के चलते उनका बाद में तलाक हो गया। उनका एक बेटा मल्हार पाटेकर है। नाना पाटेकर ने अपने साथी मकरंद अनासपुरे के साथ मिलकर “नाम फाउंडेशन” की स्थापना की जो किसानों की मदद करती है।[२]

फ़िल्मी कॅरियर

नाना पाटेकर ने शुरू में कई सालो तक थिएटर में काम किया। फ़िल्मों में उनकी शुरुआत 1974 में मुज्जफर अली द्वारा निर्देशित फ़िल्म 'गमन' से हुई। इसके बाद उन्होंने 'मोहरे' (1987) और 'सलाम बॉम्बे' (1988) फ़िल्मों में काम किया। 1989 में आयी 'परिंदा' फ़िल्म में विलन का किरदार निभाकर वे फ़िल्मकारों की नजरों में आ गये। इस फ़िल्म ने उनको इंडस्ट्री में अहम स्थान दिलाया और उनको इस फ़िल्म के लिए सपोर्टिंग एक्टर का रास्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।

निर्देशन के रूप में

1991 में नाना पाटेकर ने अपनी पहली फ़िल्म 'प्रहार' निर्देशित की और इस फ़िल्म में वो खुद एक्टर और माधुरी दीक्षित अभिनेत्री थीं। इसके बाद 1992 में 'अंगार' फ़िल्म में उनको बेस्ट विलेन का अवॉर्ड मिला। 1994 में उनकी फ़िल्म 'क्रान्तीवीर' के लिए उन्हें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार मिला। इस फ़िल्म में उनके दमदार डायलाग को भुलाया नहीं जा सकता। 1994 में 'अभय' फ़िल्म में उन्होंने एक भूत का किरदार निभाया, जिसके लिए भी उनको अवॉर्ड मिला। इसके बाद उन्होंने 'अग्नी साक्षी' (1996), 'खामोशी' (1996) और 'वजूद' (1998) फ़िल्में की और अलग-अलग किरदार निभाएँ। नाना पाटेकर ने बॉलीवुड में हीरो और विलन दोनों तरह के किरदार निभाएँ। 1996 में संजय लीला भंसाली की फ़िल्म 'खामोशी' में एक गूंगे पिता का किरदार निभाया। हालंकि फ़िल्म सफल नहीं हुई, लेकिन उनके अभिनय को काफी सराहा गया। इसके बाद कई सालो तक ये फ़िल्मों से दूर रहे और 2005 में 'अब तक छप्पन' से फ़िल्मों में वापसी की। इस फ़िल्म में उन्होंने एक पुलिस इंस्पेक्टर का किरदार निभाया। 1999 में नाना ने अमिताभ बच्चन के साथ मिलकर एक एक्शन फ़िल्म 'कोहराम' में काम किया। नाना पाटेकर ने पहली बार 2007 में बनी फ़िल्म 'वेलकम' में हास्य अभिनेता का किरदार निभाया। जिसमे वो दुबई के जाने माने गैंगस्टर का रोल निभाते हैं, जो हिंदी फ़िल्मों में काम करना चाहता है। 'अपहरण' फ़िल्म में उनको Filmfare Best Villain Award का अवॉर्ड मिला।

नाना ने कई मराठी नाटकों और फ़िल्मों में भी काम किया। इनके अलावा इनकी कुछ जानी मानी फ़िल्में 'ब्लफमास्टर', 'टैक्सी न. 9211', 'राजनीति', 'पाठशाला', 'यहाँ के हम सिकन्दर', 'इट्स माय लाइफ', और 'हुतुतू' है। 2015 में 'अब तक छप्पन' की सीरीज 'अब तक छप्पन 2' में काम किया। नाना पाटेकर ने कुछ फ़िल्मों जैसे 'आंच' (2003), 'वजूद' (1998), और 'यशवंत' (1997) में पार्श्व गायक का काम भी किया। इन सबके अलावा दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले “जंगल बुक” कार्टून शो में शेरखान की आवाज़ दी।

प्रमुख फ़िल्में

नाना पाटेकर की फ़िल्मों में शुरुआत 1974 में मुज्जफर अली द्वारा निर्देशित फ़िल्म 'गमन' से हुई। इसके बाद उन्होंने 'मोहरे' (1987), 'सलाम बॉम्बे' (1988), 'परिंदा' 1989, 'अंगार', 'क्रान्तीवीर', 'अभय', 'अग्नी साक्षी' (1996), 'खामोशी' (1996) और 'वजूद' (1998) फ़िल्में की। इनकी कुछ जानी मानी फ़िल्में 'ब्लफमास्टर', 'टैक्सी न. 9211', 'राजनीति', 'पाठशाला', 'यहाँ के हम सिकन्दर', 'इट्स माय लाइफ', 'हुतुतू', 'अब तक छप्पन' और 'अब तक छप्पन 2' में काम किया।

प्रसिद्ध संवाद

नाना पाटेकर भारतीय सिनेमा में अपनी बेबाक आवाज़ के लिये जाने जाते हैं। उनके फ़िल्मों में कुछ प्रसिद्ध संवाद है, जो इस प्रकार है-

  • आ गये मेरी मौत का तमाशा देखने
  • ये मुसलमान का खून है ये हिन्दू का खून है ….बता इसमें मुसलमान का कौन-सा, हिन्दू का कौन-सा बता
  • साला अपने देश में एक सुई नही बना सकते ….और हमारा देश तोड़ने का सपना देखते हैं

सम्मान एवं पुरस्कार

  • सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता परिंदा के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार- परिंदा
  • सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार- क्रांतीवीर
  • फ़िल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार- परिंदा


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. नाना पाटेकर (हिंदी) hindi.filmibeat.com। अभिगमन तिथि: 20 जुलाई, 2017।
  2. नाना पाटेकर (हिंदी) gajabkhabar.com। अभिगमन तिथि: 20 जुलाई, 2017।

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