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*सिंहल ([[लंका]]) देश की राजधानी है।
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'''अनुराधापुर''' सिंहल ([[लंका]]) देश की राजधानी है। अनुराधापुर का उल्लेख [[बौद्ध]] ग्रंथ [[महावंश]] में हुआ है।  
 
 
*अनुराधापुर का उल्लेख [[बौद्ध]] ग्रंथ [[महावंश]] में हुआ है।  
 
 
*इस नगर को एक भारतीय राजकुमार विजय के अनुरोध नामक सामंत ने वर्तमान मलवत्तुओय नदी के तट पर बसाया था।  
 
*इस नगर को एक भारतीय राजकुमार विजय के अनुरोध नामक सामंत ने वर्तमान मलवत्तुओय नदी के तट पर बसाया था।  
 
*महावंश से यह विदित होता है कि यह नगर अनुराधा नक्षत्र में बसाया गया था, इसलिए इसका नामकरण अनुराधापुर हुआ।  
 
*महावंश से यह विदित होता है कि यह नगर अनुराधा नक्षत्र में बसाया गया था, इसलिए इसका नामकरण अनुराधापुर हुआ।  
*[[सम्राट अशोक]] के पुत्र महेन्द्र व पुत्री [[संघमित्रा]] द्वारा [[बौद्ध धर्म]] के प्रचार हेतु लाई गयी बोधिवृक्ष की टहनी अनुराधापुर में स्थित महाविहार में लगायी गयी थी। जो आज भी मौजूद है।
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*[[सम्राट अशोक]] के पुत्र महेन्द्र व पुत्री [[संघमित्रा]] द्वारा [[बौद्ध धर्म]] के प्रचार हेतु लाई गयी बोधिवृक्ष की टहनी अनुराधापुर में स्थित [[महाविहार]] में लगायी गयी थी। जो आज भी मौजूद है।
 
*चौथी शताब्दी ईस्वी में [[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] का एक [[दाँत]] दंतपुरा (पुरी) से अनुराधापुर लाया गया था, जिसे अशोक द्वारा निर्मित धूपाराम [[स्तूप]] में रखा गया था।  
 
*चौथी शताब्दी ईस्वी में [[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] का एक [[दाँत]] दंतपुरा (पुरी) से अनुराधापुर लाया गया था, जिसे अशोक द्वारा निर्मित धूपाराम [[स्तूप]] में रखा गया था।  
 
*अनुराधापुर के खण्डहरों में देवानाम प्रिय तिस्सा (सम्राट अशोक) द्वारा लगभग 250 ई.पू. में बनवाया गया धूपाराम स्तूप, दुत्तुजेमुनु द्वारा निर्मित रूआवेलिसिया और सावती स्तूप और तिस्सा के पुत्र वातागामनीक द्वारा निर्मित अभयगिरि स्तूप मुख्य हैं।  
 
*अनुराधापुर के खण्डहरों में देवानाम प्रिय तिस्सा (सम्राट अशोक) द्वारा लगभग 250 ई.पू. में बनवाया गया धूपाराम स्तूप, दुत्तुजेमुनु द्वारा निर्मित रूआवेलिसिया और सावती स्तूप और तिस्सा के पुत्र वातागामनीक द्वारा निर्मित अभयगिरि स्तूप मुख्य हैं।  

०५:५४, २२ मार्च २०१२ का अवतरण

स्तूप, अनुराधापुर

अनुराधापुर सिंहल (लंका) देश की राजधानी है। अनुराधापुर का उल्लेख बौद्ध ग्रंथ महावंश में हुआ है।

  • इस नगर को एक भारतीय राजकुमार विजय के अनुरोध नामक सामंत ने वर्तमान मलवत्तुओय नदी के तट पर बसाया था।
  • महावंश से यह विदित होता है कि यह नगर अनुराधा नक्षत्र में बसाया गया था, इसलिए इसका नामकरण अनुराधापुर हुआ।
  • सम्राट अशोक के पुत्र महेन्द्र व पुत्री संघमित्रा द्वारा बौद्ध धर्म के प्रचार हेतु लाई गयी बोधिवृक्ष की टहनी अनुराधापुर में स्थित महाविहार में लगायी गयी थी। जो आज भी मौजूद है।
  • चौथी शताब्दी ईस्वी में महात्मा बुद्ध का एक दाँत दंतपुरा (पुरी) से अनुराधापुर लाया गया था, जिसे अशोक द्वारा निर्मित धूपाराम स्तूप में रखा गया था।
  • अनुराधापुर के खण्डहरों में देवानाम प्रिय तिस्सा (सम्राट अशोक) द्वारा लगभग 250 ई.पू. में बनवाया गया धूपाराम स्तूप, दुत्तुजेमुनु द्वारा निर्मित रूआवेलिसिया और सावती स्तूप और तिस्सा के पुत्र वातागामनीक द्वारा निर्मित अभयगिरि स्तूप मुख्य हैं।


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