अब या तनुहिं राखि कहा कीजै।
सुनि री सखी, स्यामसुंदर बिनु बांटि[१] विषम विष पीजै॥
के गिरिए गिरि चढ़ि सुनि सजनी, सीस संकरहिं दीजै।[२]
के दहिए दारुन दावानल[३] जाई जमुन धंसि लीजै॥
दुसह बियोग अरी, माधव को तनु दिन-हीं-दिन छीजै।[४]
सूर, स्याम अब कबधौं मिलिहैं, सोचि-सोचि जिय जीजै॥[५]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पीसकर।
- ↑ यह सिर काट-कर शिव पर चढ़ा दिया जाय।
- ↑ वन में लगी हुई आग।
- ↑ क्षीण होता है।
- ↑ जी रहा है।
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