पद्मासन
पद्मासन या कमल आसन (अंग्रेज़ी: Padmasana or Lotus position) बैठकर की जाने वाली योग मुद्रा है जिसमें घुटने विपरीत दिशा में रहते हैं। इस मुद्रा को करने से मन शांत व ध्यान गहरा होता है। कई शारीरिक विकारों से आराम भी मिलता है। इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से साधक कमल की तरह पूर्ण रूप से खिल उठता है, इसलिए इस मुद्रा का नाम 'पद्मासन' है। चीनी व तिब्बती बौद्ध मान्यता में कमल आसन को 'वज्र आसन' भी कहा जाता है।
पद्मासन में शरीर की गतिविधियां रुक जाती हैं जिससे स्थिरता आती है और मन ध्यान में आसानी से लगता है। पद्मासन का अभ्यास नियमित करने से शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप से सुख एवं शांति मिलती है। पद्मासन स्थिर बनाकर शारीरिक और मानसिक तनाव को दूर करता है जिससे स्वस्थ रह सकते हैं। इसके अभ्यास से एकाग्रचित्ता बढ़ती है और किसी भी काम को ज्यादा बेहतर ढंग से किया जा सकता है।
विधि
- समतल धरातल पर आसन बिछाकर बैठ जाएं, कमर और गर्दन सीधे हों तथा दोनों पैर सामने की ओर सीधे खुले हों।
- धीरे से अपने दाहिने घुटने को मोड़ें और पैर को आराम से बांयी जांघ पर रख दें, ध्यान रखें की एड़ी पेट के पास रहे और तलवा ऊपर की तरफ हो।
- इसी तरह से बाएं पैर को आराम से दांयी जांघ पर रखें।
- अगर दूसरे पैर को रखने में तकलीफ हो तो जल्दीबाजी या जबरदस्ती बिलकुल ना करें।
- दोनों पैर मुड़े और आराम से विपरीत जांघों पर रखे हुए हों। अब दोनों हाथों को किसी एक मुद्रा में अपने घुटनों पर रखें।
- ध्यान रखें कमर और गर्दन सीधे रहें (आराम से सीधे रखें, तने हुए नहीं) तथा कंधे आराम की मुद्रा में रहेंगे।
- इसी स्थिति में रहकर गहरी सांसें लेते और छोड़ते रहें। सांसों का लेना और छोड़ना आराम से करें जबरदस्ती ना करें।
- 3 से 5 मिनट के बाद दूसरे पैर को ऊपर रख कर ये करें।
पूर्ण लाभ हेतु मुद्रा प्रयोग - किसी भी मुद्रा में बैठकर पद्मासन करने से शरीर में ऊर्जा का संचार बढ़ता है, सभी मुद्राएं अलग होती हैं और इस प्रकार उनसे होने वाले लाभ भी अलग-अलग होते हैं।
पद्मासन के साथ कारगर मुद्रायें - चिन मुद्रा, चिन्मयी मुद्रा, आदि मुद्रा और ब्रह्म मुद्रा। इनमें से किसी मुद्रा के साथ पद्मासन में बैठकर कुछ देर साँस लें और शरीर में होने वाली ऊर्जा संचार को अनुभव करें।
लाभ
- पद्मासन मांसपेशियों के तनाव को कम करता है और रक्तचाप को नियंत्रण में लाता है।
- ये आसन पाचन शक्ति बढ़ाने में मदद करता है जिससे कब्ज दूर होती है।
- पद्मासन के अभ्यास करने से मन शांत और और स्वभाव (चित) प्रसन्न रहता है।
- इस आसन में गर्दन और कमर को सीधा रखते हैं जिससे रीढ़ की हड्डी और गर्दन समय के साथ मजबूत होती है।
- पद्मासन से घुटनों और टखनों को खिचाव मिलता है जिससे वो मजबूत होते हैं और ये आसन कूल्हों को खोलता है, जिससे वे अधिक लचीले होते हैं।
- इस आसन के निरंतर अभ्यास से मासिक चक्र सुगम होता है और गर्भवती महिलाओं को प्रसव में कम तकलीफ होती है।
- यदि इस आसन का नियमित अभ्यास किया जाए तो साइटिका दर्द में चमत्कारी फायदा मिलता है।
- इस आसन के अभ्यास से चेतना और शारीरिक ऊर्जा को बढ़ा सकते हैं।
- ये आसन चेहरे पर चमक बढ़ाता है जिससे चेहरा कमल की तरह खिल उठता है।
सावधानियां
- घुटने या टखने में चोट या दर्द है तो इस आसन को नहीं करना चाहिए।
- हमेशा किसी अनुभवी योगा टीचर की देखरेख में इस आसन का अभ्यास करना चाहिए, खासतौर पर अगर नौसिखिया हैं तो।
- यदि पद्मासन करते समय शरीर के किसी अंग में जरूरत से ज्यादा दर्द या खिचाव हो तो इसे ना करें।
- अपनी छमता के अनुसार ही अभ्यास करें।
- वैरिकोज नस की समस्या होने पर इसे न करें।
- शुरुआत में इसका अभ्यास 1-2 मिनट के लिए करें और धीरे-धीरे इसे 20-30 मिनट तक बढ़ा सकते हैं। सामान्य परिस्थितियों में यह 5 से 10 मिनट के लिए ही पर्याप्त है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज
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