रू-ए- अनवर[१] नहीं देखा जाता देखें क्योंकर नहीं देखा जाता। रश्के-दुश्मन[२] भी गवारा[३] लेकिन तुझको मुज़्तर[४] नहीं देखा जाता। दिल में क्या ख़ाक उसे देख सके जिसको बाहर नहीं देखा जाता। तौबा के बाद भी ख़ाली-ख़ाली कोई साग़र[५] नहीं देखा जाता। क्या शबे-वादा हुआ हूँ बेख़ुद[६] जानिबे-दर[७] नहीं देखा जाता। मुख़्तसर[८] ये है अब कि ‘दाग़’ का हाल बन्दापरवर नहीं देखा जाता।