ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया -दाग़ देहलवी  

ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया -दाग़ देहलवी
कवि दाग़ देहलवी
जन्म 25 मई, 1831
जन्म स्थान दिल्ली
मृत्यु 1905
मृत्यु स्थान हैदराबाद
मुख्य रचनाएँ 'गुलजारे दाग़', 'महताबे दाग़', 'आफ़ताबे दाग़', 'यादगारे दाग़', 'यादगारे दाग़- भाग-2'
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
दाग़ देहलवी की रचनाएँ

ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया
झूठी क़सम से आप का ईमान तो गया।

    दिल ले के मुफ़्त कहते हैं कुछ काम का नहीं
    उल्टी शिकायतें रही एहसान तो गया।

अफ़्शा-ए-राज़-ए-इश्क़ में गो जिल्लतें हुईं
लेकिन उसे जता तो दिया, जान तो गया।

    देखा है बुतकदे में जो ऐ शेख कुछ न पूछ
    ईमान की तो ये है कि ईमान तो गया।

डरता हूँ देख कर दिल-ए-बेआरज़ू को मैं
सुनसान घर ये क्यूँ न हो मेहमान तो गया।

    क्या आई राहत आई जो कुंज-ए-मज़ार में
    वो वलवला वो शौक़ वो अरमान तो गया।

गो नामाबर से कुछ न हुआ पर हज़ार शुक्र
मुझको वो मेरे नाम से पहचान तो गया

    बज़्म-ए-उर्दू में सूरत-ए-परवाना मेरा दिल
    गो रश्क़ से जला तेरे क़ुर्बान तो गया।

होश-ओ-हवास-ओ-ताब-ओ-तवाँ ‘दाग़’ जा चुके
अब हम भी जाने वाले हैं सामान तो गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=ख़ातिर_से_या_लिहाज़_से_मैं_मान_तो_गया_-दाग़_देहलवी&oldid=332768" से लिया गया