माउताम  

माउताम (अंग्रेज़ी: Mautam) एक चक्रीय पारिस्थितिक घटना है, जो पूर्वोत्तर भारत के मिज़ोरम और मणिपुर राज्यों में हर 48-50 साल में होती है और अकाल जैसी स्थिति पैदा करने की क्षमता रखती है। इसके अलावा म्यांमार के चिन राज्य के भी कुछ क्षेत्रों में यह तबाही फैलाता है। इसमें पहले चूहों की आबादी तेज़ी से बढ़ती है, जो फ़सलों को तबाह कर देती है।

  • माउताम की इस क्षेत्र के राजनीतिक इतिहास को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आख़िरी बार यह घटना (बांस के फूल खिलना) मई 2006 में शुरू हुई, और राज्य सरकार और भारतीय सेना ने अकाल को रोकने का प्रयत्न किया था।
  • मिज़ोरम और मणिपुर 30 प्रतिशत तक जंगली बांस के जंगलों से ढके हुए हैं। माउताम के दौरान, एक व्यापक क्षेत्र में मेलोकन्ना बेसीफेरा (बांस की एक प्रजाति) के एक ही समय में फूल निकलते हैं। इसके बाद काले चूहों की भारी संख्या फ़सलों पर आक्रमण करती है, जिसे 'चूहों की बाढ़' कहा जाता है।
  • यह तब होता है, जब बाँस के बीजों के अधिक संख्या में गिरने पर चूहों को ढेर सारा भोजन मिल जाता है। इस कारण चूहों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है।
  • बीजरूपी भोजन के समाप्त हो जाने पर ये चूहे जंगल छोड़ खेतों की ओर रुख़करते हैं। वहाँ ये संग्रहीत अनाज पर धावा बोल देते हैं, जो बदले में विनाशकारी अकाल का कारण बन जाता है।
  • ब्रिटिश राज के रिकॉर्ड से पता चलता है कि मिज़ोरम में 1862 में अकाल पड़ा और 1911 में फिर से इस क्षेत्र में बांस के फूल खिले। दोनों ही मामलों में अभिलेख बताते हैं कि बांस के फूल खिलने से स्थानीय चूहों की आबादी में नाटकीय तौर पर वृद्धि देखने को मिली। वृद्धि के कारण अन्न भंडार और धान के खेत नष्ट हो गए और बाद में एक साल तक अकाल पड़ा।
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