महामारी एक्ट  

महामारी एक्ट उस स्थिति में लागू किया जाता है, जब लगता है कि किसी महामारी की रोकथाम में यह जरूरी है। महामारी अधिनियम, 1897 के लागू होने के बाद सरकारी आदेश की अवहेलना अपराध है। इसमें आईपीसी की धारा-188 के तहत सजा का प्रावधान किया गया है। खास बात यह है कि यह कानून अधिकारियों की सुरक्षा भी करता है। लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों को समझना चाहिए कि उन पर महामारी एक्ट के तहत कार्रवाई पक्की है।

आवश्यकता

पूरे विश्व सहित भारत में भी कोरोना वायरस का खतरा बढ़ गया है। धीरे-धीरे कोरोना वायरस अपनी जड़ें फैला रहा है। यदि कोई महामारी लोगों की लापरवाही या फिर उनकी मनमानी की वजह से भयंकर रूप लेती है तो ऐसे में उन पर काबू पाने के लिए कानूनी चाबुक भी चलाया जाता है। भारत में महामारी में मनमानी रोकने के लिए इंडियन एपिडेमिक एक्ट 1897 के तहत ऐसे प्रावधान मौजूद हैं। इसके अलावा भारतीय दंड संहिता के तहत ही ऐसे प्रावधान किए गए हैं कि लोगों को किसी भी तरीके का संक्रमण या जानलेवा रोग फैलाने से रोका जा सके।[१]

क्‍या है 'इंडियन एपिडेमिक एक्ट 1897'

महामारी को लेकर बनाए गए इस कानून को केंद्र सरकार या फिर राज्य सरकार लागू कर सकती है। इस एक्ट में स्पष्ट है कि अगर कोई भी व्यक्ति सरकारी दिशा निर्देशों की अवहेलना करता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाए। वर्ष 1897 में अस्तित्व में आए महामारी अधिनियम की प्रासंगिकता को देखते हुए आजादी के बाद भी केंद्र में रही सभी सरकारों ने इस एक्ट को बरकरार रखा है। इस एक्ट के सेक्शन 3 में यह बताया गया है कि जो भी व्यक्ति सरकारी आदेशों की अवहेलना करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। इसमें सजा के तौर पर न्यूनतम सजा एक महीने की कैद या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं। यही नहीं, अगर इसकी अवहेलना करने वाले की वजह से किसी की जान को खतरा होता है तो यह सजा बढ़कर 6 महीने की कैद या जुर्माना या फिर दोनों ही लगाया जा सकता है।

कब हुआ लागू

  1. इस अधिनियम के तहत वर्ष 2018 में गुजरात के एक गांव में हैजा फैलने पर इस एक्ट का प्रयोग किया गया था।
  2. 2015 में डेंगू और मलेरिया का संक्रमण फैलने पर चंडीगढ़ में भी यह एक्ट लगाया गया था।
  3. 2009 में स्वाइन फ्लू के मामले में पुणे में इस अधिनियम को लागू करने की घोषणा की गई थी।

आईपीसी में प्रावधान

आईपीसी के सेक्शन 269 और 270 के तहत अगर किसी रोग से संक्रमित व्यक्ति अपने रोग के संक्रमण की गंभीरता को जानने के बावजूद स्वस्थ लोगों में इन्फेक्शन या फिर बीमारी को फैलाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। इसके तहत छह महीने से दो साल तक का कारावास या जुर्माना या फिर दोनों से दंडित किया जा सकता है। इस अधिनियम के तहत सीएमओ द्वारा संबंधित को हिरासत में लेकर जांच की जाती है। यह संज्ञेय लेकिन ज़मानती अपराध है। इसके तहत कोई भी न्यायाधीश जमानत दे सकता है।[१]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. १.० १.१ जानें क्या है महामारी एक्ट (हिंदी) indiawave.in। अभिगमन तिथि: 24 मार्च, 2020।

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