इंद्रयाग  

इंद्रयाग हिन्दू धार्मिक ग्रंथ भागवतपुराण के अनुसार प्राचीन ब्रज में मनाया जाने वाला एक विशेष उत्सव था।[१]


  • श्रीकृष्ण के पालक पिता नंदबाबा प्रतिवर्ष अन्य गोपों के साथ देवराज इन्द्र के निमित्त इस उत्सव का आयोजन करते थे।
  • इस उत्सव को भगवान श्रीकृष्ण ने बंद करवाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू करवाई थी, जिस कारण इन्द्र के प्रकोप के कारण ब्रज में घनघोर वर्षा हुई।
  • क्रोधित इन्द्र के कोप से बचने हेतु श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों की रक्षार्थ गोवर्धन पर्वत को सात दिनों तक अपनी अंगुली पर धारण किया।[२]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 51 |
  2. भागवतपुराण 10.24 पूरा; 25.1-28

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=इंद्रयाग&oldid=605813" से लिया गया