"जाग तुझको दूर जाना -महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर
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− | |मुख्य रचनाएँ= | + | |मुख्य रचनाएँ=[[मेरा परिवार -महादेवी वर्मा|मेरा परिवार]], [[स्मृति की रेखाएँ -महादेवी वर्मा|स्मृति की रेखाएँ]], [[पथ के साथी -महादेवी वर्मा|पथ के साथी]], [[श्रृंखला की कड़ियाँ -महादेवी वर्मा|श्रृंखला की कड़ियाँ]], [[अतीत के चलचित्र -महादेवी वर्मा|अतीत के चलचित्र]], [[नीरजा -महादेवी वर्मा|नीरजा]], [[नीहार -महादेवी वर्मा|नीहार]] |
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− | <poem>चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना! | + | <poem> |
+ | चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना! | ||
जाग तुझको दूर जाना! | जाग तुझको दूर जाना! | ||
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आज पी आलोक को ड़ोले तिमिर की घोर छाया | आज पी आलोक को ड़ोले तिमिर की घोर छाया | ||
जाग या विद्युत शिखाओं में निठुर तूफ़ान बोले! | जाग या विद्युत शिखाओं में निठुर तूफ़ान बोले! | ||
− | पर तुझे है नाश पथ पर | + | पर तुझे है नाश पथ पर चिह्न अपने छोड़ आना! |
जाग तुझको दूर जाना! | जाग तुझको दूर जाना! | ||
पंक्ति ४८: | पंक्ति ४९: | ||
वज्र का उर एक छोटे अश्रु कण में धो गलाया, | वज्र का उर एक छोटे अश्रु कण में धो गलाया, | ||
− | दे किसे जीवन-सुधा दो | + | दे किसे जीवन-सुधा दो घूँट मदिरा माँग लाया! |
सो गई आँधी मलय की बात का उपधान ले क्या? | सो गई आँधी मलय की बात का उपधान ले क्या? | ||
विश्व का अभिशाप क्या अब नींद बनकर पास आया? | विश्व का अभिशाप क्या अब नींद बनकर पास आया? | ||
पंक्ति ५९: | पंक्ति ६०: | ||
राख क्षणिक पतंग की है अमर दीपक की निशानी! | राख क्षणिक पतंग की है अमर दीपक की निशानी! | ||
है तुझे अंगार-शय्या पर मृदुल कलियां बिछाना! | है तुझे अंगार-शय्या पर मृदुल कलियां बिछाना! | ||
− | जाग तुझको दूर जाना! </poem> | + | जाग तुझको दूर जाना! |
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१०:३९, ९ फ़रवरी २०२१ के समय का अवतरण
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चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना! |
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